दरभंगा में ‘चंद्रधारी संग्रहालय’ और ‘पोथीघर’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 15 दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी संपन्न

Darbhanga: दरभंगा में ‘चंद्रधारी संग्रहालय’ और ‘पोथीघर’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 15 दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी का रविवार को समापन हो गया. यह पुस्तक प्रदर्शनी 20 अगस्त से 3 सितंबर तक लगी रही। इस बाबत में संग्रहालयाध्यक्ष डॉ शंकर सुमन ने कहा कि- “इस सकारात्मक कार्य हेतु पोथीघर फरीदाबाद से चलकर दरभंगा तक आई, इसके लिए बहुत-बहुत आभार। यह पुस्तक प्रदर्शनी शिक्षार्थी सहित आम जनमानस तक के बौद्धिक ऊर्जा को सृजित करने का कार्य किया है. पहली बार में ग्रामीण क्षेत्र सहित सभी स्कूली बच्चों में किताबों के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न होना ही उज्जवल भविष्य का संकेत है। मैं आगे भी इस तरह के सकारात्मक आयोजनों को निरंतर आयोजित करता रहूंगा.” वहीं पुस्तक प्रदर्शनी के संबंध में पोथीघर के प्रबंधक आनंद मोहन झा ने कहा कि- “इस पुस्तक प्रदर्शनी का मूल उद्देश्य धरोहर संरक्षण के साथ-साथ धरोहर संबंधित विविध जानकारियों को इन किताबों के माध्यम से ग्रामीण परिवेश के सभी स्कूली बच्चों, महाविद्यालय-विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं एवं शोधार्थियों सहित आम जनमानस तक पहुंचाना है।”

ल.ना.मि. विश्वविद्यालय के पुरातत्व विषय के शोधार्थी मुरारी कुमार झा ने पुस्तक के महत्ता को बताते हुए कहा कि- “हमारे समस्त संसार की एक ही समस्या है, की लोग पुस्तकों से कट रहे हैं। कुछ लोग इसे आधुनिक समय में हुआ एक सकारात्मक क्रांति मानते हैं और यह है भी। लेकिन जब हम इसका भविष्यात्मक अध्ययन करते हैं तो पाते हैं की इसका दो पक्ष है, सकारात्मक और नकारात्मक। यहाँ सबसे बड़ी समस्या यह है की सकारात्मकता हमें दिखती है, किन्तु नकारात्मकता की अनुभूति तक नहीं होती, उसके द्वारा हमें काल कलवित कर जाने के उपरांत हम उसे समझते हैं, तब तक देर हो गई रहती है। इस स्थिति में तथ्यात्मक मार्गदर्शन हेतु जो हमेशा हमारे पीठ पर भरोसे का हाथ लिए सदैव खड़ा मिलता है, वह है, ‘पुस्तक’। इसीलिए हर व्यक्ति को किताबों से जुड़ना चाहिए, जिससे ससमय उनका सही मार्गदर्शन होता रहे। पुस्तक प्रदर्शनी हेतु संग्रहालय परिवार और पोथीघर के प्रति बहुत-बहुत आभार।”

इस पुस्तक प्रदर्शनी में कुल 27000 की संख्या में लोगों ने भाग लिया। इससे दरभंगा, समस्तीपुर, बेगुसराय, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मोतिहारी, चंपारण, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, पूर्णिया, हजारीबाग, प्रयागराज, गाजियाबाद सहित नेपाल और न्यू-जर्सी तक के पुस्तक प्रेमियों ने पुस्तकें प्राप्त की.

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