इटली के अपुलिया में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन में दिखा भारत का दबदबा, जानिए  किन महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुई चर्चा

1 min read

New Delhi:  इटली के अपुलीया में आयोजित ग्रुप ऑफ सेवन (जी-7) शिखर सम्मेलन में भारत का दबदबा साफ नजर आया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापानी प्रधानमंत्री फूमिओ किशिदा और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सहित कई विश्व नेताओं से मुलाकात की. इस दौरान कई मुद्दों पर बातचीत हुई. कई देश महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताते हुए नजर आए. वहीं, यूरोप की ओर से ठोस बुनियादी ढांचे के प्रस्तावों को आगे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जताई. आइए आपको बताते हैं कि कहां किससे बात बनी और जानिए इटली से क्या-क्या लाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

भारत और कनाडा के बीच पिछले कुछ समय से रिश्‍तों में तनाव चल रहा है. ऐसे में पीएम मोदी की कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात बेहद खास रही. कई देशों की नजर इस मुलाकात पर टिकी हुई थीं. जस्टिन ट्रूडो ने शनिवार को कहा कि जी7 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी से उनकी मुलाकात के बाद कुछ ‘बहुत महत्वपूर्ण मुद्दों’ से निपटने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता है.

ट्रूडो ने जी7 शिखर सम्मेलन के समापन पर मीडिया से कहा, “मैं इस महत्वपूर्ण, संवेदनशील मुद्दे के विवरण में नहीं जाऊंगा, जिस पर हमें आगे काम करने की आवश्यकता है. लेकिन यह आने वाले समय में कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए एक साथ काम करने की प्रतिबद्धता है.” भारत का कहना रहा है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडा अपने भू-भाग से संचालित हो रहे खालिस्तान समर्थक तत्वों को जगह दे रहा है. भारत ने कनाडा को बार-बार अपनी ‘‘गहरी चिंताओं” से अवगत कराया है और नयी दिल्ली को उम्मीद है कि ओटावा उन तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी इतालवी समकक्ष जॉर्जिया मेलोनी ने द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी की प्रगति की समीक्षा की और भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे सहित वैश्विक मंचों तथा बहुपक्षीय प्रस्तावों में सहयोग को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की. पीएम मोदी की दक्षिणी इटली के अपुलिया की एक दिवसीय यात्रा के अंत में शुक्रवार को दोनों नेताओं के बीच मुलाकात हुई. इस दौरान मोदी ने जी7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित करने के लिए इटली की प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया.

विदेश मंत्रालय ने बैठक के बारे में जारी विज्ञप्ति में कहा कि नेताओं ने खुले एवं मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपने साझा दृष्टिकोण को पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई तथा भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे पर भी चर्चा की.  क्षेत्र में चीन की आक्रामक गतिविधियों के बीच विदेश मंत्रालय ने कहा, “दोनों नेता मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपने साझा दृष्टिकोण को पूरा करने की खातिर तैयार रूपरेखा के तहत क्रियान्वित की जाने वाली संयुक्त गतिविधियों के लिए तत्पर हैं.”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इटली के अपुलीया में जी-7 शिखर सम्मेलन के मौके पर जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ द्विपक्षीय बैठक की. इस दौरान प्रधानमंत्री ने लगातार तीसरी बार पदभार संभालने पर दी गई बधाई के लिए प्रधानमंत्री किशिदा को धन्यवाद दिया. उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि उनके तीसरे कार्यकाल में भी जापान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को प्राथमिकता मिलती रहेगी. दोनों नेताओं ने कहा कि भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी अपने 10वें वर्ष में है और द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया. दोनों नेताओं ने पारस्परिक सहयोग को और मजबूत करने, नए एवं उभरते क्षेत्रों को जोड़ने तथा बी2बी एवं पी2पी सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की.

भारत और जापान कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं, जिसमें ऐतिहासिक मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना (बुलेट ट्रेन) भी शामिल है. यह परियोजना भारत में आवागमन के क्षेत्र में अगले चरण की शुरुआत करेगी. वर्ष 2022-2027 की अवधि में भारत में 5 ट्रिलियन येन मूल्य के जापानी निवेश का लक्ष्य है और भारत-जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता साझेदारी का उद्देश्य हमारे मैन्यूफैक्चरिंग संबंधी सहयोग में परिवर्तन लाना है. दोनों नेताओं ने अगले भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में अपनी चर्चा जारी रखने के प्रति उत्सुकता दिखाई.

जी7 शिखर सम्मेलन के अंत में औद्योगिक देशों के समूह ने भारत-पश्चिम-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) जैसे ठोस बुनियादी ढांचे के प्रस्तावों को आगे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जताई. भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) परियोजना के तहत सऊदी अरब, भारत, अमेरिका और यूरोप के बीच एक विशाल सड़क, रेलमार्ग और पोत परिवहन तंत्र की परिकल्पना की गई है ताकि एशिया, पश्चिम एशिया और पश्चिम के बीच जुड़ाव सुनिश्चित किया जा सके.

 

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours