उत्तराखंड: अब प्रदेश में भूजल का अंधाधुंध दोहन रोकेगी सरकार, बनेंगे नियम, विभाग ने तैयार किया ड्राफ्ट

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Dehradun: प्रदेश सरकार भूजल का अंधाधुंध दोहन रोकेगी इसके लिए कानूनी प्रावधान किए जा रहे हैं. सिंचाई विभाग को इसका नोडल बनाया गया है. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इसका ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है. भूजल को लेकर एक्ट में बदलाव से भूजल की दृष्टि से गंभीर क्षेत्रों में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. उद्योगों को एनओसी देने पर रोक लग सकती है.

सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक भूजल के स्तर में आ रही चिंताजनक गिरावट पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जल शक्ति मंत्रालय और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को आवश्यक निर्देश दिए थे.

एनजीटी के निर्देश के बाद केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय भूजल बोर्ड बनाया गया है, जो उत्तराखंड समेत विभिन्न राज्यों में इस पर निगरानी कर रहा है. केंद्र के निर्देश पर राज्य सरकार की ओर से नियम बनाने के लिए सरकार ने पहले लघु सिंचाई विभाग को नोडल बनाया था, लेकिन लघु सिंचाई के स्थान पर सिंचाई विभाग को अब इसका जिम्मा दिया गया है.

विभागीय अधिकारियों के मुताबिक उद्योग विभाग, जल संस्थान, एमडीडीए आदि विभागों से इसे लेकर सुझाव लिया जा रहा है. इन विभागों के सुझाव के बाद ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा, जिसे कैबिनेट में लाया जाएगा. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार ने भूजल के संबंध में 2016 में अधिनियम बना लिया था. अब इस अधिनियम में ही कुछ संशोधन के बाद इसे राज्य में लागू किया जाएगा.

सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, संशोधन के बाद यह एक अंब्रैला एक्ट होगा. सरकार उन क्षेत्रों में जल के व्यावसायिक दोहन को लेकर आवश्यक कदम उठाएगी, जहां सतह और भूगर्भ जल को लेकर गंभीर स्थिति है. भूमि में जल का स्तर बहुत नीचे चला गया है. लेकिन सामान्य क्षेत्रों में इससे कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा. एक्ट के लागू होने के बाद भूजल से राजस्व भी मिलेगा.

 

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