गिरिडीह: पूर्व विधायक निर्भय शाहाबादी के पक्ष में है जातीय समीकरण, मतदाताओं को साधने की कला में माहिर से आसान लग रही टिकट की दावेदारी

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Giridih: गिरिडीह लोकसभा सीट को लेकर हुए रायशुमारी ने आजसू को सबसे बड़ा झटका दिया है. पिछले पांच साल में एनडीए सांसद सह आजसू नेता चंद्रप्रकाश चौधरी के कार्यकाल में सबसे अधिक नाराजगी भाजपा नेता और कार्यकर्ता में नजर आई थी.  ऐसे में इस चुनाव में भी अगर यह सीट आजसू को दिया जाता, तो भीतरघात की गुंजाइश से इंकार नहीं किया जाता.लिहाजा, रायशुमारी कर भाजपा ने संकेतों में ही सही आजसू को झटका तो दे दिया है. बहरहाल, चार बड़े नेताओं के नाम रायशुमारी के बाद प्रदेश नेतृत्व को भेजे गए हैं. इसमें जातीय समीकरण की गोलबंदी और मतदाताओं को साधने वाले चेहरे भी दिख रहे हैं.
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पूर्व सांसद रविंद्र पांडेय के पिछले कार्यकाल को भाजपा के समर्थक व वोटर भूले नहीं, उपर से बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो की दावेदारी भी पूर्व सांसद रविंद्र पांडेय का स्वाद बिगड़ाने के लिए काफी है. वैसे गौर करने वाली बात तो यह भी है चुनाव लड़ने की तैयारी पूर्व सांसद रविंद्र पांडेय की पहले से ही तय थी. उनके चुनाव लड़ने को लेकर गिरिडीह भाजपा में तो चर्चा यहां तक था कि अगर 2024 के चुनाव में भाजपा उन्हें टिकट नहीं देती है तो वह जेएमएम से भी गिरिडीह लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन चुनाव नजदीक आने के साथ रायशुमारी में मौजूद पूर्व सांसद रविंद्र पांडेय की मौजूदगी ने एक तरह से उम्मीद जरूर जगाई है.

जातीय समीकरण और मतदाताओं को साधने में पूर्व विधायक निर्भय शाहाबादी की कला से पार्टी का प्रदेश नेतृत्व और गिरिडीह भाजपा के कार्यकर्ता अनजान नहीं हैं. अब ऐसे में पूर्व विधायक निर्भय शाहाबादी पर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व दांव खेलता है तो माना जा रहा है सबसे अधिक राह आसान पार्टी कार्यकर्ताओं का होना तय है हालांकि निर्भय शाहाबादी के टिकट मिलने को लेकर राह इतना भी आसान नहीं है.

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