जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था, 370 हटाना संवैधानिक रूप से सही- चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

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New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संविधान के आर्टिकल 370 को हटाए जाने के फ़ैसले को वैध ठहराया है. आर्टिकल 370 हटाए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “हम संविधान के आर्टिकल 370 को हटाने के लिए राष्ट्रपति की ओर से संवैधानिक आदेश जारी करने की शक्ति के इस्तेमाल को वैध ठहराते हैं.”

चीफ़ जस्टिस ने कहा, “सॉलिसिटर जनरल ने बयान दिया कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा. हम लद्दाख को अलग करने के फैसले को बरकरार रखते हैं. हम चुनाव आयोग को पुनर्गठन अधिनियम और धारा 14 के तहत जल्द से जल्द चुनाव कराने का निर्देश देते हैं.” ”

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि जम्मू कश्मीर के पास भारत के दूसरे राज्यों से अलग कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है. अनुच्छेद 370 हटाए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान उन्होंने सोमवार को ये कहा. चीफ़ जस्टिस चंद्रचूड़ ने लद्दाख को अलग करने के फ़ैसले की वैधता भी बरकरार रखी. चीफ़ जस्टिस ने कहा, “हम केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग करने के फ़ैसले की वैधता भी बरकरार रखते हैं. ” चीफ़ जस्टिस ने कहा, ‘जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. ये संविधान के आर्टिकल एक और 370 से साफ़ है.’

चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने फ़ैसला पढ़ते हुए कहा है-“हम मानते हैं कि आर्टिकल 370 अस्थायी है. इसे एक अंतरिम प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बनाया गया था. राज्य में युद्ध की स्थिति के कारण यह एक अस्थायी व्यवस्था थी. यह एक अस्थायी प्रावधान है और इस लिए इसे संविधान के भाग 21 में रखा गया है.” उन्होंने ये भी कहा कि हमारा मानना है कि भारत के साथ एक्सेशन पर हस्ताक्षर करने के बाद जम्मू-कश्मीर की कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है.

सीजेआई ने कहा-“अनुच्छेद 370 (3) संवैधानिक एकीकरण के लिए लाया गया था न कि बांटने लिये. संविधान सभा भंग होने के बाद 370(3) का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता ये दलील स्वीकार नहीं की जा सकती क्योंकि यह संवैधानिक इंटिग्रेशन को रोकता है.”

“कोर्ट राष्ट्रपति के फ़ैसले पर अपील पर सुनवाई नहीं कर सकता.हालाँकि कोई भी फ़ैसला न्यायिक समीक्षा से परे नहीं है. लेकिन 370(1)(डी) के तहत लिए गए कई संवैधानिक आदेशों से पता चलता है कि केंद्र और राज्य ने एक सहयोगी प्रक्रिया के माध्यम से भारत का संविधान जम्मू और कश्मीर में लागू किया है.”

“इससे पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर के एकीकरण की प्रक्रिया अतीत से चल रही थी और ऐसे में इस फ़ैसले को राष्ट्रपति की शक्तियों के गलत इस्तेमाल के रूप में नहीं देख जा सकता. इसलिए हम राष्ट्रपति के फ़ैसले को वैध ठहराते हैं.”

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