जिमखाना क्लब की जमीन पर न्यूक्लियस मॉल के कंस्ट्रक्शन पर लगी रोक हटाने से HC का इनकार, मामले को सक्षम बेंच में किया ट्रांसफर

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Ranchi: जिमखाना क्लब की जमीन पर बन रहे न्यूक्लियस मॉल को लेकर एकल पीठ के आदेश के खिलाफ यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से कैप्टन सुष्मिता बनर्जी की एलपीए की आंशिक सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट में बुधवार को हुई. मामले में प्रतिवादियों की ओर से न्यूक्लियस मॉल के कंस्ट्रक्शन पर लगी रोक हटाने का आग्रह कोर्ट से किया गया. हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले को सुनने से इनकार करते हुए मामले को सक्षम बेंच में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया. प्रतिवादी चैलिश रियल स्टेट की ओर से अधिवक्ता सुमित गड़ोदिया ने पक्ष रखा . वहीं अन्य प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ता शैलेश कुमार सिंह ने पैरवी की. जबकि रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन सहदेव ने पैरवी की.
दरअसल, मामले में हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति रंगन मुखोपाध्याय की एकल पीठ ने प्रार्थी सेना के अधिकारियों की याचिका को खारिज कर दिया था. इसके खिलाफ सेना की ओर से खंडपीठ में अपील दायर की गई है. खंडपीठ ने बीते दिसंबर माह में जिमखाना क्लब की जमीन पर बना रहे न्यूक्लियस मॉल के कंस्ट्रक्शन पर रोक लगा दी थी. बता दे की हाईकोर्ट की एकल पीठ में सुनवाई के दौरान सेना के अधिकारियों की ओर से कहा गया था कि जिमखाना की जमीन पर जो मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बन रहा है वह सेना की जमीन के बगल में है. नियम के अनुसार सुरक्षा के दृष्टिकोण से सेना की जमीन से 50 मीटर की दूरी पर बिल्डिंग का निर्माण कार्य होना चाहिए था. वहीं प्रतिवादियों की ओर से कहा गया था कि सेना की ओर से जिस गाइडलाइन का हवाला दिया जा रहा है वह वर्ष 2022 का है, जो इसमें अप्लाई नहीं होता है. वर्ष 2016 का गाइडलाइन इसमें अप्लाई होता है, जिसमें कहा गया है कि सेना की जमीन से 10 मीटर की दूरी पर किसी बिल्डिंग का निर्माण कार्य हो सकता है. जो बिल्डिंग का निर्माण कार्य हो रहा है वह सेना की जमीन से 45 मीटर से ज्यादा दूरी पर है.

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