Ranchi: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने गुरुवार को जेएसएससी के पेपर घोटाले को लेकर कई सवाल उठाए. इसकी सीबीआई जांच की मांग भी की. प्रदेश कार्यालय में प्रेस क़ॉन्फ्रेंस में कहा कि झारखंड में जमीन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच में अब मेधा घोटाला सामने आ रहा है. यहां इस सरकार में पहले जमीन, खनिज, शराब घोटाला तो दिखा ही, अब मेधा घोटाला भी सामने आया है. जमीन घोटाले की जांच में जुटी ईडी ने कोर्ट में जमा की गई 539 पन्नों की व्हाट्सएप चैट में राज्य में पिछले दिनों आयोजित जेएसएससी सीजीएल की परीक्षा में हुए प्रश्न पत्र लीक के मामले में सीधे तौर पर मुख्यमंत्री कार्यालय की संलिप्तता पाई है. इस 539 पन्नों की रिपोर्ट में पूर्व सीएम का विभिन्न दलालों के साथ सीट बेचने की चैट और एडमिट कार्ड शेयर करने से पता लगता है कि सीजीएल के परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक हुए. सरकारी संरक्षण एवं मुख्यमंत्री कार्यालय के संज्ञान में इसे कराया गया है. मौके पर मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक एवम सह मीडिया प्रभारी अशोक बड़ाइक भी उपस्थित थे.
पुलिस सेवा के पदाधिकारी को क्यों बनाया जेएसएससी का चैयरमैन
कुणाल षाडंगी ने मौके पर सवाल पूछते कहा कि पेपर लीक मामले में इस सरकार को कई सवालों के जवाब देने चाहिये. पुलिस सेवा के किसी भी पदाधिकारी को जेएसएससी के चैयरमैन बनाने की बाध्यता उसे क्यों रही. प्रश्नपत्र लीक होने पर आंदोलन कर रहे एवं वर्षों से तैयारी करने वाले छात्रों पर मुकदमा क्यों किया गया. जेएसएससी के चैयरमैन पर मुकदमा दर्ज क्यों नहीं हुआ. अपने ही कार्मिक विभाग द्वारा एजेंसी के ब्लैकलिस्ट होने की खबर के बाद भी उस एजेंसी को जेएसएससी द्वारा परीक्षा कराने की अनुमति देना सवाल खड़े करता है. पूछे गए प्रश्नों का का स्तर चतुर्थ विभाग (चपरासी वगैरह) के द्वारा पूछे गए प्रश्न से भी निम्न क्यों रहा. संभवतः ऐसा इसलिए भी क्योंकि जब प्रश्न पत्र लीक हो जाये तो जल्द से जल्द इसका उत्तर निकाल कर बिचौलिए एवं दलाल अपने अपने छात्रों को दे सकें. 80 अंक पाने वाले सामान्य वर्ग के छात्र का लैब टेक्नीशियन में चयन एवं गृहनगर में पोस्टिंग और 130 अंक लाने वाले छात्र का चयन नहीं हुआ, आखिर ऐसा क्यों. 9वीं, 10वीं एवं 11वीं जेपीएससी को छोड़ कर सीधे 12वीं जेपीएससी का चुनाव के समय 17 मार्च को परीक्षा क्यों ली जा रही. परीक्षा के नोटिफिकेशन एवं परीक्षा के बीच का अंतराल 120 दिनों की अपेक्षा में सिर्फ 35 दिन रखा गया है जिसका जवाब मिलना चाहिये. आनन फ़ानन में सिर्फ DSP रैंक के अपने ही पुलिस अधिकारी द्वारा प्रश्न पत्र लीक के मामले की जाँच क्यों करायी जा रही. कायदे से इसकी जांच सीबीआई से होनी चाहिये.
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