तीन साल में 11 अरब के 55 हजार किलोग्राम अफीम की जब्ती, देश में तीसरी बड़ी जब्ती

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Ranchi: झारखंड में अफीम उत्पादित होने के कारण मादक पदार्थ तस्करी का मुख्य गढ़ बना हुआ है. झारखंड से तस्करी का नेटवर्क राजस्थान, पंजाब, हरियाणा सहित अन्य राज्यों तक फैला हुआ है. पुलिस आज तक इसकी जड़ तक नहीं पहुंच सकी है. बीते तीन साल में करीब ग्यारह अरब के करीब 55 हजार किलोग्राम अफीम जब्त किया गया है. बीते तीन साल के दौरान झारखंड के अलग-अलग क्षेत्रों में 55 हजार किलोग्राम अभीम की जब्ती पुलिस ने बनाई है. जब्ती किए गए अफीम की बाजार में अनुमानित कीमत ग्यारह अरब के करीब तय किया है.
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राज्य में अफीम की बेखौफ तस्करी हो रही है. अफीम के अलावे गांजा से लेकर अन्य नशीली पदार्थ की तस्करी इस कदर बढ़ी हुई है कि आए दिन नशे के सामानों की जब्ती पुलिस कर रही है. इसका खुलासा तब हुआ जब लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह मंत्री ने नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला दिया. 2020 में 6622.982 किग्रा, 2021 में 16158.318 किग्रा और 2022 में 32376.732 किग्रा अफीम आधारित मादक पदार्थ जब्त किया गया. जब्ती मामले में देश में झारखंड का वर्ष 2020 में आठवां, 2021 में चौथा और 2022 में तीसरा स्थान था.

तस्करी का नेटवर्क राजस्थान, पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों तक

झारखंड अफीम तस्करी का गढ़ माना जाता है. तस्कर कुरियर के रूप में युवाओं को लालच देकर इसमें लिप्त कर रहे हैं. कम समय में अधिक रुपए कमाने व मौज-मस्ती के साथ शौक पूरे करने का सपना लेकर युवा तस्करों के संपर्क में आ रहे हैं. एक से दूसरे तस्कर तक मादक पदार्थ पहुंचाने के लिए युवा कुरियर के रूप में काम करते हैं. तस्करी का नेटवर्क राजस्थान, पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों तक फैला हुआ है.

पुलिस के अनुसार एक तस्कर अफीम या डोडाचूरा दूसरे राज्य के तस्कर तक पहुंचाने के लिए युवाओं को कोरियर बनाते हैं. इन्हें एक खेप पहुंचाने के बदले पांच से 10 हजार रुपए मिल जाते हैं. इस कारण तस्करों के संपर्क में आकर युवा इस काम में शामिल हो जाते हैं. इसमें पुरुष के साथ महिलाएं भी शामिल हो रही है.

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