धनबाद के पंचेत डैम का उद्घाटन करनेवाली बुधनी मझियाईन का निधन

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Dhanbad : धनबाद जिले में स्थित डीवीसी पंचेत डैम का उद्घाटन करने वाली आदिवासी महिला बुधनी मझियाईन का निधन हो गया. वह लंबे से समय से बीमार थीं. डीवीसी हिल अस्पताल पंचेत में उनका इलाज चल रहा था. जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. बुधनी मझियाईन की एक बेटी रत्ना दत्ता है, जिसका विवाह हो चुका है. बुधनी के निधन की खबर से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई. उनका पार्थिव शरीर शनिवार को फूलों से सुसज्जित वाहन पर रख पूरे पंचेत क्षेत्र में लोगों के दर्शन के लिए घुमाया गया. सीआईएसएफ के जवानों ने सम्मानपूर्वक माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धाजंलि दी. निरसा विधायक अपर्णा सेनगुप्ता, झामुमो नेता अशोक मंडल सहित अन्य गणमान्य लोगों ने भी उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए.
ज्ञात हो कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू 6 दिसंबर 1959 को पंचेत डैम का उद्घाटन करने आये थे. लेकिन उन्होंने खुद उद्घाटन नहीं कर डैम के निर्माण में योगदान देने वाली महिला मजदूर बुधनी मझियाईन से उद्घाटन कराया था.

पंडित नेहरू का माला पहनाना बुधनी के लिए बन गया अभिशाप
डैम के उद्घाटन के समय पंडित नेहरू ने बुधनी का स्वागत माला पहनाकर किया था. वहीं, बुधनी ने भी आदिवासी परंपरा के अनुसार, पंडित नेहरू को तिलक लगाकर और माला पहनाकर स्वागत किया था, जिसका खामियाजा बुधनी को जीवन भर भुगतना पड़ा. बताया जाता है कि संथाल समाज की परंपरा के अनुसार, यदि कोई पुरुष किसी महिला के गले में माला पहना देता है, तो उस व्यक्ति का उस महिला के साथ विवाह माना जाता है. पंडित नेहरू द्वारा बुधनी को माला पहनाने के बाद संथाली समाज ने गांव में बैठक कर उसे जाति और गांव से बहिष्कृत करने का फैसला सुनाया था. समाज ने कहा था कि बुधनी का विवाह एक गैर आदिवासी के साथ हो गया है, इसलिए उसे जाति और गांव से निष्कासित किया जाता है. गांव के इस फैसले के बाद बुधनी पंश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिला के सालतोड़ा चली गई और वहां सुधीर दत्ता नामक व्यक्ति से विवाह किया. दोनों से एक पुत्री हुई, जिसका नाम रत्ना रखा.
राजीव गांधी ने दिलायी थी नौकरी
बुधनी का मुद्दा समय-समय पर मीडिया में उछलता रहा. राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जब उनके समक्ष बुधनी का मामला आया तो उन्होंने डीवीसी को आदेश देकर बुधनी को खोज निकालने और नियोजन देने का आदेश दिया. डीवीसी ने सालतोड़ से बुलाकर बुधनी को डीवीसी में नौकरी दी थी. सेवानिवृत्ति के बाद वह सालतोड़ में ही रह रही थी. बुधनी की एक पुत्री रत्ना दत्ता हैं. रत्ना की शादी हो चुकी है. निधन की खबर सुनकर मुखिया सचिन मंडल, मुखिया भैरव मंडल
पंचेत हिल अस्पताल पहुंचे और शोकाकुल परिवार से मिल कर संवेदना जतायी.
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