पलामू: एमडीएम के गर्म माड़ से झुलसकर सगी बहनों की हुई मौत मामले में परिजन को दो माह बाद भी नहीं मिला मुआवजा

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Palamu: मध्याहन भोजन के गर्म माड़ से झुलसकर मृत बहनों के माता पिता को दो माह बाद भी मुआवजा राशि नहीं मिल पायी है. परेशान होकर पिता परमेश्वरी साव ने बुधवार को उपायुक्त के जनता दरबार में मुआवजा राशि भुगतान की गुहार लगायी. परमेश्वरी साव ने उपायुक्त को बताया कि अपनी मृत दो पुत्रियों के एवज में सरकार द्वारा मुआवजा राशि जारी की गयी थी, लेकिन भुगतान नहीं हो पाया.
बता दें कि पलामू जिले के तरहसी प्रखंड के छेचानी मध्य विद्यालय परिसर में स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र की दो बच्चियां यूटी कुमारी और शिबू कुमारी स्कूल में बने मध्याहन भोजन के गर्म माड़ में गिर गई थी. 24 नम्बर 2022 को खेलने के दौरान हादसा यह हुआ था. रांची रिम्स में इलाज के दौरान 7 दिसंबर को 24 घंटे के भीतर दोनों की मौत हो गयी थी.
इस मामले में 6 नवम्बर 2023 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की अनुशंसा पर गृह एवं कारा विभाग की ओर से दोनों बच्चियों के परिजनों को पांच-पांच लाख रूपए का मुआवजा जारी किया गया था. इस संबंध में मुख्य सचिव की ओर से गृह एवं कारा विभाग को आदेश दिया गया था, जिसके बाद मुआवजा राशि जारी की गयी. लेकिन दो माह बीत जाने के बाद भी पीड़ित परिवार को मुआवजा राशि नहीं दी गई है.
घटना के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता ओमकार विश्वकर्मा ने मामले की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार में की थी. आयोग ने पलामू डीसी को पहले 28 दिसंबर 2022 और उसके बाद 5 अप्रैल 2023 को नोटिस जारी कर मामले की जानकारी मांगी थी. इसके बाद आयोग ने 17 जुलाई 2023 को राज्य के मुख्य सचिव से मामले की जानकारी मांगी, जहां घटना की जानकारी देते हुए पीड़ित परिवार को पांच-पांच लाख रूपए मुआवजा देने की अनुशंसा की गयी.

कैसे हुआ था हादसा

बता दें कि 24 नवम्बर 2022 को छेचानी मध्य विद्यालय में मध्यान भोजन के लिए बनाए गए चावल का गर्म माड़ खुले में रख दिया गया था। मध्य विद्यालय के पुराने भवन में गांव का आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित होता है. यहां दोनों बहने शिबू और ब्यूटी पढ़ाई करने आई थीं. खेलने के क्रम में दोनों बहने गर्म माड़ से भरे टब में गिर गयी थी. आनन फानन में दोनों को इलाज के लिए मेदिनीनगर के एमएमसीएच में भर्ती कराया गया था. दो दिन बाद दोनों को मेदिनीनगर के एक निजी अस्पताल में इलाज किया गया था. यहां उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए रंाची रिम्स ले जाने का निर्णय लिया गया था. रिम्स में भर्ती होने के 12 दिन बाद पीड़ितों ने दम तोड़ दिया था.

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