प्रधानमंत्री 11 फरवरी को करेंगे टंट्या भील विश्वविद्यालय का शुभारंभ

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Madhya Pradesh:  मध्य प्रदेश के खरगोन में क्रांतिसूर्य टंटया भील विश्वविद्यालय शुरू होगा. मध्य प्रदेश सरकार ने आदेश जारी कर विश्वविद्यालय की स्थापना एवं सत्र 2024-25 से ही इसके परिचालन की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने विश्वविद्यालय की स्थापना के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है.

वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय यानी पीएमओ से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 फरवरी को मध्य प्रदेश का दौरा करेंगे. इस दौरान पीएम मोदी झाबुआ में लगभग 7500 करोड़ रुपये की अनेक विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे. इन्हीं लोकार्पण और शिलान्यास के कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री मोदी टंट्या मामा भील विश्वविद्यालय की आधारशिला रखेंगे. यह एक ऐसा विश्वविद्यालय होगा, जो यहां के क्षेत्र में उच्च जनजातीय बहुलता वाले जिलों के युवाओं को सुविधाएं प्रदान करेगा.

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मध्य प्रदेश कैबिनेट की 13 फरवरी को होने वाली बैठक में अनुमोदन प्रस्ताव प्रस्तुत किया जायेगा. अनुमोदन के बाद चालू विधानसभा सत्र में इसे पारित कर अधिनियम के रूप में अधिसूचित करते हुए विश्वविद्यालय की स्थापना विधिक रूप से म.प्र. विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 के अंतर्गत की जाएगी.

विश्वविद्यालय के भवन निर्माण में लगभग 200 करोड़ रूपये का व्यय भार आएगा. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मापदण्ड अनुसार इन विश्वविद्यालयों के लिए शैक्षणिक पद सृजित किए जाएंगे. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अपेक्षानुसार विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा के नवीनतम क्षेत्रों के लिए पाठयक्रम प्रारंभ हो, शिक्षण में आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाए. यह दृष्टिगत करते हुए कि यह विश्वविद्यालय जनजातीय क्षेत्र में है, विद्यार्थियों के कौशल उन्नयन के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे.

सन् 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी वीरों एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में मध्यप्रदेश के जनजातीय समाज के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी टंट्या भील का नाम बड़े सम्मान एवं आदर के साथ लिया जाता है. जनजातीय समाज के इस महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को भारत का रॉबिनहुड भी कहा जाता है. दिलचस्प पहलू यह है कि टंट्या भील की वीरता, साहस और अप्रतिम स्वतंत्रता भाव से संकट में आये अंग्रेजी शासन के नुमाइंदों ने ही जननायक टंट्या भील को “भारतीय रॉबिनहुड” की उपाधि दी थी.

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