बदलती सियासी तस्वीर के बीच राज्यपाल से बाबूलाल ने की राज्य में संवैधानिक व्यवस्था को मजाक बनने से बचाने की अपील

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Ranchi : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को सीएम हेमंत सोरेन पर हमला बोला. दुमका में एक प्रेस वार्ता में राज्य में जारी सियासी उठापटक पर चिंता जतायी. साथ ही राज्यपाल से समुचित कदम उठाने का आग्रह भी किया. कहा कि आज राज्य में दुर्दांत अपराधी, दलाल, बिचौलिए बेखौफ हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार असंवैधानिक कार्य कर रहे हैं. उन्हें अब लग गया है कि उनका जेल जाना तय है, इसलिए पार्टी के विधायक सरफराज अहमद को विधानसभा से इस्तीफा दिलवा कर पत्नी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं. उन्हें यह भी पता है कि उनकी पत्नी आरक्षित सीट से विधायक नहीं बन सकती. हाइकोर्ट ने यह निर्णय दिया है कि राज्य से बाहर की बहु झारखंड में आरक्षण की सुविधा नहीं ले सकती है. बाबूलाल मरांडी ने महाराष्ट्र हाइकोर्ट, नागपुर बेंच के एक निर्णय की ओर राज्यपाल का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि यदि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से कोई नई सरकार बनाने या मुख्यमंत्री बदलने की बात उनके समक्ष आती है तो वे अटॉर्नी जनरल या बड़े न्यायविद से इस संबंध में सलाह अवश्य लें.

बचायें संवैधानिक व्यवस्था

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्यपाल के हाथों में संवैधानिक व्यवस्था को बचाने की जिम्मेवारी है. महाराष्ट्र उच्च न्यायालय के नागपुर बेंच के निर्णय ने खाली सीट पर उपचुनाव कराने की अवधि पर फैसला सुनाया है. झारखंड की परिस्थिति में अब विधानसभा का कार्यकाल एक साल से भी कम बचा है. ऐसे में खाली करायी गई सीट पर उपचुनाव नहीं कराये जा सकते. ऐसे हालात में राज्यपाल ही संवैधानिक व्यवस्था का मजाक होने से बचा सकते हैं.

राज्य में अपराधियों के बढ़ते मनोबल पर श्री मरांडी ने कहा कि अब जेल से अपराधी बड़े अखबार के संपादक को धमकी दे रहे. यह गंभीर मामला है. जेल से जिसने धमकी दी वह और कोई नहीं, दुमका का योगेंद्र तिवारी है. तिवारी का शिबू सोरेन से गहरा संबंध है. आज भी शिबू सोरेन के दुमका के खजुरिया स्थित विशाल कोठी के आधे भाग की जमीन की रजिस्ट्री डीड योगेंद्र तिवारी एंड कंपनी की है. ऐसे दुर्दांत अपराधियों को बाहर भेजा जाना चाहिए था लेकिन मुख्यमंत्री से उनके गहरे संबंध हैं. वे जेल से सत्ता का संचालन करते हैं. मनमाफिक ट्रांसफर पोस्टिंग कराते हैं, रुकवाते हैं.

उन्होंने विगत दिनों बड़े पैमाने पर डीएसपी के हुए ट्रांसफर और बाद में उनके स्थगन को याद दिलाते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें ट्रांसफर की प्रक्रिया मालूम है. यदि राज्य के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, डीजीपी की हस्ताक्षरित संचिका के निर्णय लागू नहीं हों तो समझा जा सकता है कि सत्ता का संचालन कोई और कर रहा है. ऐसे लोगों को मुख्यमंत्री का संरक्षण प्राप्त है. मुख्यमंत्री बाहर में केवल आईवॉश करते हैं.

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कई बार उन्होंने भ्रष्टाचार से संबंधित जांच के लिए सरकार को आग्रह किया. पत्र लिखे. लेकिन मुख्यमंत्री न्यायिक जांच करा कर अधिकारियों को क्लीन चिट देते रहे. सीएम मामलों को केवल ऐसे ही रफा दफा करना चाहते हैं. यदि हिम्मत है तो राज्य के ईमानदार पुलिस अधिकारी मुरारीलाल मीणा, अनिल पलटा जैसे अधिकारियों से जांच करायें. उनका जो फैक्ट्स फाइंडिंग आयेगा, वह सच को उजागर करेगा. मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार में आकंठ लिप्त हैं. भ्रष्टाचारियों को संरक्षण भी दे रहे. उन्हें बचाने के लिए सरकार के खजाने से करोड़ों रुपए हाइकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के महंगे वकीलों पर खर्च कर रहे. ईडी के सातवें समन के बाद भी उनका पूछताछ से भागना यह बताता है कि जवाब देने से डर रहे. यदि उन्होंने गड़बड़ी नहीं की तो सीना तान कर जायें और सवालों का सामना करें लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे क्योंकि उन्हें पता है कि उन्होंने किस प्रकार से गड़बड़ी की है.

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