New Delhi: गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ हुए गैंगरेप के 11 दोषियों की रिहाई सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी है. पिछले साल 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने दोषियों की माफी याचिका पर कार्रवाई करते हुए 11 दोषियों को बरी कर दिया था. सभी दोषी गोधरा उपकारा में अपनी सज़ा काट रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार के पास सज़ा में छूट देने और कोई फ़ैसला लेने का अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फ़ैसला लेने के लिए महाराष्ट्र सरकार को ज़्यादा उपयुक्त बताया. जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्जल भुयन ने कहा कि मई 2022 में गुजरात सरकार ने दोषियों की सज़ा में छूट देकर तथ्यों की उपेक्षा की थी. सभी दोषियों को दो हफ़्ते के भीतर जेल प्रशासन के पास हाज़िर होने के लिए कहा गया है.
याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुयन के पीठ ने पिछले साल 12 अक्तूबर को अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था. याचिकाओं में गुजरात में 2002 में हुए दंगों में बिलकिस बानो से गैंगरेप और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी .
इस मामले में सभी दोषियों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई थी. गुजरात सरकार ने स्पष्ट किया कि यह माफ़ी दोषियों की सज़ा के समय लागू राज्य की माफ़ी नीति के तहत दी गई थी. साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो के परिवार के 14 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी और उनके साथ सामूहिक बलात्कार भी किया गया था.
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