मिशन 2024: थामने को तो थाम लिया गीता ने बीजेपी का हाथ, लेकिन बहुत कठिन है डगर पनघट की

Rahul Kumar

Ranchi: झारखंड का कोल्हान प्रमंडल राजनीतिक और औद्योगिक दोनो मामले में राज्य के लिए जरूरी है. राजनीतिक मामले में इसलिए है कि इस प्रमंडल में कुल 14 विधानसभा सीट आती है और इस क्षेत्र में सेंध लगाने वाली पार्टियां सत्ता शीर्ष पर होती है. जिसका जीत-जागता उदाहरण 2019 का विधानसभा चुनाव परिणाम है. वहीं औद्योगिक इसलिए कि इस क्षेत्र के जमशेदपुर स्थित टाटा स्टील सहित कई उद्योग इकाइयां स्थापित है. सांसद गीता कोड़ा ने कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन तो कर ली है. लेकिन जीत की राह फिलहाल के समीकरण और स्थिति को देखकर ठीक नहीं कह सकते हैं.
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कोल्हान प्रमंडल से विधानसभा चुनाव हारे तत्कालीन सीएम रघुवर दास

कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों में से एक भी विधानसभा सीट एनडीए के पास नहीं है. बीते 2019 के विधानसभा चुनाव में जेएमएम 11, कांग्रेस 2 और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की. कोल्हान प्रमंडल के अंतर्गत आने वाली जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी हार का सामना उन्हीं के सरकार में मंत्री रहे और पार्टी के बागी निर्दलीय उम्मीदवार सरयू राय से करना पड़ा था. हाल यह रहा कि पूरे कोल्हान प्रमंडल में बीजेपी किसी भी विधानसभा सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई थी.

2014 में बीजेपी ने पांच सीट जीती तो कांग्रेस का सुफरा साफ था, 2019 में ठीक हुआ उल्टा

कांग्रेस को 2014 के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी. वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास सात सीटें थी. 2014 के चुनाव में बीजेपी को पांच सीटें मिली थीं लेकिन 2019 में कोल्हान में बीजेपी का खाता तक नहीं खुला. बीजेपी एक भी सीट नहीं बचा सकी. 2014 चुनाव में जमशेदपुर पूर्वी, जमशेदपुर पश्चिमी, घाटशिला, पोटका व ईचागढ़ पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी जबकि कांग्रेस ने 2019 के चुनाव में जगनाथपुर व जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर जीत दर्ज की है.

कोल्हान क्षेत्र में जेएमएम का तेजी से बढ़ा ग्राफ

2019 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की ओर से जेएमएम ने कोल्हान प्रमंडल में 14 में 11 सीट पर चुनाव लड़ा था और सभी सीटों पर जीत दर्ज की. कोल्हान में ईचागढ़, खरसावां, चक्रधरपुर, मनोहरपुर, मझगांव, सरायकेला, चाईबासा, जुगसलाई, पोटका, घाटशिला व बहरागोड़ा सीट पर झामुमो ने जीत दर्ज की. दूसरी तरफ 2014 विधानसभा चुनाव में आजसू ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी लेकिन 2019 में वह भी नहीं मिली.

सांसद गीता कोड़ा के लिए जीत की राह आसान नहीं

सांसद गीता कोड़ा के बीजेपी में जाने के बाद कोल्हान प्रमंडल में बीजेपी को एक मजबूत नेता तो मिल गया हैं. लेकिन गीता कोड़ा को अगर बीजेपी 2024 में लोकसभा चुनाव में सिंहभूम से उम्मीदवार बनाती है. तो यह जीत दर्ज करा पाएगी यह कह पाना वर्तमान स्थिति को देखते हुए मुश्किल कहा जा सकता है. क्योंकि सीएम चंपाई सोरेन भी कोल्हान प्रमंडल के सरायकेला विधानसभा से 2005 से चुनाव जीतते आ रहे हैं. ऐसे में सीएम चंपाई का प्रभाव इस पूरे क्षेत्र में है. हालांकि पूर्व सीएम मधु कोड़ा और उनकी पत्नी गीता कोड़ा का भी कोल्हान प्रमंडल के कई विधायकों से अच्छे संबंध है. अब देखना यह है कि जिस राह पर गीता कोड़ा चली है. वह इतनी आसन नहीं है. जितना देखने से लग रहा है हालांकि कांग्रेस के कई विधायक अभी भी पार्टी आलाकमान से नाराज चल रहे हैं.

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