New Delhi: केंद्र सरकार ने 8 फरवरी को भारत और म्यांमार के बीच फ्री मूवमेंट रिजीम को खत्म करने की घोषणा की थी. इसके मुताबिक म्यांमार देश की भारत के चार राज्यों से लगने वाली सीमाओं को सील किया जाएगा.
इस फैसले के बाद से कुछ लोग सरकार के समर्थन में आ रहे हैं. वहीं कुछ लोग इस फैसले से खुश नहीं दिखाई दे रहे हैं. इन लोगों में अब मिजोरम और नागालैंड के सीएम भी शामिल हो गए हैं, दोनों सरकार के इस फैसले से खुश नहीं है. कुछ लोगों को मानना है कि ऐसा करने से सीमाएं सुरक्षित रहेंगी जबकि कुछ का मानना है कि ऐसा करने से पहले सरकार को एक फॉर्मूला तैयार करना चाहिए.
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सरकार के इस फैसले के बाद लोग दो हिस्सों में बंटते नजर आ रहे हैं. इनमें एक ओर पहाड़ी इलाकों के लोग तो दूसरी ओर घाटी इलाके के लोग हैं. घाटी के लोगों को सरकार के इस फैसले पर कोई दिक्कत नहीं है.
लेकिन पहाड़ी इलाके के लोगों को सरकार का यह फैसला नागवार लग रहा है. इस बीच मैतई समुदाय की संस्था कोकोमी समेत घाटी के कई संगठनों का मानना है कि इस नियम से गलत तत्वों की गतिविधियों पर ब्रेक लगेगा, जिससे इन राज्यों की सीमाएं सुरक्षित रहेंगी.
मिजोरम के मुख्यमंत्री लल्दुहोमा ने इस बारे में बताया कि इन बॉर्डर के दोनों साइड के लोग मिजो-जो-चिन समुदाय को इलाके में आने जाने से नहीं रोका-जा सकता. साथ ही इनमें कोई भी अंग्रेजों के समय एकतरफा तरीके से बनाई गई सीमाओं को भी नहीं मानते.
इस फैसले को मानना संभव नहीं दिखाई दे रहा है. साथ ही नागालैंड के सीएम नेफ्यू रियो ने कहा है कि सीमा के दोनों ओर नगा लोग रहते हैं. इसलिए सरकार को इस फैसले पर अम्ल करने से पहले एक उचित फॉर्मूला बनाना चाहिए.
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