Varanasi: वाराणसी की ज़िला अदालत के बुधवार को दिए फ़ैसले को लागू करते हुए ज़िला प्रशासन ने गुरुवार की सुबह ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित व्यास तहखाने में पूजा अर्चना शुरू करवा दी.ये भी एक संयोग है कि आज से 38 साल पहले 1986 में अयोध्या के बाबरी मंदिर का ताला 1 फरवरी को ही खोला गया था.
उत्तर प्रदेश: ज्ञानवापी मामले में कोर्ट द्वारा हिंदू पक्ष को ‘व्यास का तहखाना’ में पूजा करने की अनुमति देने पर वाराणसी के DM एस राजलिंगम ने कहा, “न्यायालय के आदेश का पालन किया गया है..”
— ANI_HindiNews (@AHindinews)
वाराणसी के ज़िलाधिकारी एस राजलिंगम ने गुरुवार तड़के पत्रकारों को इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा, “मुझे न्यायालय का जो ऑर्डर है, उसका कंप्लायन्स (पालन) किया गया.” वहीं ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास तहखाने के सामने की बैरिकेडिंग के बारे में पूछे गए सवाल के उत्तर में उन्होंने फिर यही कहा कि ‘कोर्ट के ऑर्डर का कंप्लायन्स’ किया गया. पत्रकारों ने जब डीएम से पूछा कि क्या पूजा कराई गई तो उन्होंने फिर वही जवाब दिया, “कोर्ट ने जो बोला है उसका कंप्लायन्स किया गया.”
वहीं इस मामले के एक वादी सोहन लाल आर्य ने गुरुवार को एएनआई से हुई बातचीत में पुष्टि की है कि व्यास तहखाने में जाने का रास्ता बन गया है, लेकिन दर्शन करने वालों को अभी वहां जाने की इजाज़त नहीं है. उन्होंने कहा, “आज (गुरुवार) का दिन बहुत गौरवान्वित क्षण लग रहा है. हमारा रोम रोम पुलकित है. ज़िला जज का कल का फ़ैसला अभूतपूर्व लगा. अभी वहां की सारी व्यवस्थाएं पूरी हैं लेकिन अभी वहां (व्यास का तहखाना) जनता को दर्शन करने नहीं दिया जा रहा है. इस क्षण का हम 40 सालों से इंतज़ार कर रहे थे.”
| Gyanvapi case | After the court grants permission for puja in the ‘Vyas Ka Tekhana’, advocate Sohan Lal Arya says, “We are feeling very proud today. The court’s decision yesterday was unprecedented…The arrangements have been made but it (Vyas Ka Tekhana) has not been…
— ANI (@ANI)
सोहन लाल आर्य के अनुसार, “अभी नंदी के बगल से (उत्तर की ओर) बाबा के तहखाने की ओर जाने के लिए अलग से दरवाज़ा बन गया है. वहां पर तीन पुलिसकर्मी थे. उनसे हमने कहा कि दर्शन करने दिया जाए. इस पर उन्होंने कहा कि अभी दर्शन पूजन का अधिकार नहीं है, जैसे ही मिलेगा सभी दर्शनार्थियों को वहां जाने दिया जाएगा.”
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