सुप्रीम कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के एक मामले में हाई कोर्ट के आदेश को किया रद्द, एसएलपी किया स्वीकार

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Ranchi: खुद के मेंटनेंस एवं अपने बच्चे के मेंटनेंस को लेकर साहेबगंज फैमिली कोर्ट के आदेश के बाद झारखंड हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में दिए गए आदेश को चुनाैती देनेवाली निलम कुमारी मल्लिक की स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी स्वीकार कर लिया. साथ ही इस संबंध में झारखंड हाई कोर्ट द्वारा दिए गए सितंबर 2021 के आदेश को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि साहेबगंज की फैमिली कोर्ट के 13 सितंबर 2017 के कठोर आदेश को चुनाैती देनेवाली याचिका पर अपीलकर्ता की अनुपस्थिति में झारखंड हाइकोर्ट को निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए था. वह भी तब जब हाईकोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यवाही कर रही थी. अपीलकर्ता को याचिका पर उपस्थित होने और बहस करने का कम से कम एक अवसर देना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रार्थी की क्रिमिनल क्वैशिंग याचिका ( 3818/2017) को पुनरबहाल कर दिया. साथ ही झारखंड हाई कोर्ट को संबंधित रोस्टर बेंच के समक्ष 23 फरवरी को मामले को रखने का निर्देश देते हुए तथा सुनवाई की तिथि निर्धारित करने को कहा है. दरअसल प्रार्थी निलम कुमारी मल्लिक का कहना था कि झारखंड हाई कोर्ट ने उनका पक्ष सुने बिना उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया. प्रार्थी की ओर से झारखंड हाइकोर्ट की अधिवक्ता सुचित्रा पांडेय ने पैरवी की.

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