हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार और रांची नगर निगम से तीखे सवाल पूछे— नक्शा स्वीकृति प्रक्रिया पिछले चार महीनों से क्यों रुकी है, और अब तक लॉ ऑफिसर की नियुक्ति क्यों नहीं हुई?
सुनवाई के दौरान कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स ऑफ इंडिया (CREDAI) के वकील कुमार वैभव ने अदालत को बताया कि रांची नगर निगम में पिछले चार माह से कोई नक्शा पास नहीं हो रहा, जिस कारण रियल एस्टेट उद्योग और आम नागरिक दोनों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। उन्होंने अनुरोध किया कि निगम को जल्द ही प्रक्रिया बहाल करने का निर्देश दिया जाए।
सरकार की ओर से कोर्ट को जानकारी दी गई कि नियमों में बदलाव का प्रस्ताव विचाराधीन है, और एसओपी के अनुसार नक्शों की समीक्षा नियत विधि अधिकारी (लॉ ऑफिसर) द्वारा की जानी चाहिए। इस पर बेंच ने आदेश दिया कि नियम संशोधन शीघ्र पूरा कर लॉ ऑफिसर की नियुक्ति पर तत्काल फैसला लिया जाए। अगली सुनवाई 6 मई को निर्धारित की गई है।
पूर्व सुनवाई में अदालत ने बीपीएएमएस सॉफ़्टवेयर के तीसरे चरण में हुए बदलाव पर नाराज़गी जताई थी—जहां पहले लॉ ऑफिसर सात दिन के भीतर दस्तावेज़ों की जाँच कर रिपोर्ट भेजते थे, वहां अब यह जिम्मा अपर प्रशासक को सौंप दिया गया है। कोर्ट ने तत्काल सुधार कर स्थिति की जानकारी देने का निर्देश दिया था। निगम ने तब दलील दी थी कि उसके पास स्थायी लॉ ऑफिसर नहीं है और नियुक्ति का अधिकार राज्य के नगर विकास विभाग के पास है; फिलहाल अपर प्रशासक राजस्व मामलों का अनुभव रखते हुए कार्य संभाल रहे हैं।
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