HEC को पुनर्जीवित करने, कर्मियों के वेतन भुगतान के लिए PM मोदी से भारतीय जनतंत्र मोर्चा ने की अपील

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Ranchi: भारतीय जनतंत्र मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेन्द्र तिवारी ने प्रधानमंत्री को एच.ई.सी, रांची को को पुर्नजीवित करने का अनुरोध किया है. एच.ई.सी. कर्मियों के वेतन के भुगतान के संबंध में भी पत्र लिखा है. इस पत्र की प्रति रक्षा मंत्री, भारी उद्योग मंत्री, वित्त मंत्री, श्रम मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री (भारत सरकार) तथा मुख्यमंत्री (झारखंड) एवं झारखंड के  राज्यपाल को भी भेजी है. इस पत्र में मोर्चा ने कहा है कि  रांची में अधिष्ठापित भारी अभियंत्रण निगम (एचईसी) विश्व के सबसे बड़े कारखानों में से एक है. यह कारखानों की जननी है. एचईसी के द्वारा निर्मित कई सार्वजनिक एवं निजी कारखाने आज भारत की अर्थव्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं. एचईसी झारखण्ड ही नहीं, वरन भारत का भी गौरव है. एचईसी की स्थापना के बाद से ही शेष विश्व भारत को एक अलग नजरिये से देखता आया है. विगत के वर्षों में इसने इसरो, रक्षा, कोयला एवं रेल मंत्रालय के कई महत्वपूर्ण उपकरणों का निर्माण किया है, जिसका अन्य किसी कारखानों में निर्माण नहीं हो सकता था.

मोर्चा के मुताबिक वर्तमान में यह बदहाल स्थिति में है, इसकी अनेक इकाईयाँ बंद पड़ी हुई है. 20 माह से वेतन नहीं मिलने के कारण विगत कई दिनों से कर्मियों के हड़ताल के कारण यह अत्यंत प्रतिष्ठित एवं महत्वपूर्ण कारखाना बंद पड़ा है. इसके मुख्य द्वार पर ताला जड़ा हुआ है. द्वार के सामने ही कर्मी सपरिवार हड़ताल कर रहे हैं. आनेवाले दिनों में ये आमरण अनशन करने का विचार कर रहे हैं. कुल मिलाकर स्थिति काफी दुखदायी एवं मन व्यथित करने वाली है. ऐसा नहीं है कि एचईसी के पास वर्तमान में कार्यादेश की कमी है. भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय एवं अन्य सार्वजनिक उपक्रमों एवं निजी संस्थानों का कार्यदेश एचईसी के पास है. परन्तु कार्यशील पूंजी के अभाव में यह लंबित है और समय पर कार्यादेश पूरा नहीं हो पाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. समय पर कार्यादेश पूरा नहीं होने से एचईसी प्रबंधन, झारखण्ड राज्य एवं भारी उद्योग मंत्रालय के साख पर भी प्रतिकुल असर पड़ेगा. पिछले कई वर्षों से एचईसी अपनी अचल संपति, भूखण्ड को बेचकर अथवा सरकार को लीज/किराये पर देकर कर्मियों को वेतनादि का भुगतान करती आ रही है, किन्तु यह नाकाफी है. यहाँ काम करनेवाले हजारों स्थायी एवं अस्थायी मजदूरों को विगत 20 माह से वेतन नहीं मिलने से उनके परिवार वालों पर आर्थिक विपदा आन पड़ी है. ये लोग अपने परिवार के सदस्यों को शिक्षा, स्वास्थ्य एवं भोजन की उचित व्यवस्था कर पाने में असमर्थ हो गये हैं. इनलोगों का स्वास्थ्य बीमा एवं स्वास्थ्य कार्ड वर्षों पहले लैप्स हो चुका है. एचईसी का अपना एक अस्पताल भी था, जिसे पारस हॉस्पिटल ग्रुप द्वारा अधिगृहित कर लिया गया है, यहां पर अब एचईसी कर्मियों का मुफ्त ईलाज नहीं हो पाता है. एचईसी के अस्थायी मजदूरों को भारत सरकार के अतिमहत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत का लाभ सहित अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है.

पीएम से आग्रह करते भारतीय जनतंत्र मोर्चा ने कहा है कि एचईसी को कार्यशील पूंजी हेतु 100 करोड़ अग्रिम राशि की व्यवस्था, एचईसी कर्मियों को अविलंब वेतनादि का भुगतान, उनके स्वास्थ्य बीमा को तुरंत लागू किये जाने हेतु संबंधित विभागों को यथाशीघ्र आदेश दिया जाय. प्रधानमंत्री से यही उम्मीद है कि सारे तथ्यों को गंभीरतापूर्वक लेते हुए इस पर त्वरित कार्रवाई करने का कष्ट करेंगे. यदि ‘मोदी की गारंटी’ एचईसी को भी मिल जाती तो यहां काम करने वालें हजारों पदाधिकारी/कर्मी और उनके आश्रितों को सुखद भविष्य के लिए आस बंधती.

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