New Delhi: अगर आप भी 2024 में बाबा बर्फानी के दर्शन करने जाना चाहते हैं तो आपके लिए खुशखबरी है, क्योंकि सरकार की ओर से अमरनाथ यात्रा का टाईम टेबल जारी हो चुका है. साथ ही समापन की तिथि भी आ गई है. जानकारी के मुताबिक इस बार सिर्फ 45 दिन ही बाबा बर्फानी के दर्शन भक्तगण कर पाएंगे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमरनाथ यात्रा का रजिस्ट्रेशन 15 अप्रैल दिन सोमवार से शुरू हो जाएगा. आपको बता दें कि इस यात्रा को करने के लिए कई कंडीशन भी सरकार द्वारा जारी की गई है. यानि प्रति यात्री को शारीरिक तौर पर फिट रहना जरूरी होगा. अमरनाथ यात्रा करने वालों को मेडिकल सर्टिफिकेट के साथ और भी कई दिशा-निर्देशों का पालन करना जरूरी होता है.
आपको बता दें कि अमरनाथ यात्रा की देश में बहुत मान्यता है. साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से भी यह यात्रा काफी जोखिम भरी होती है. इसलिए सरकार पूरी तैयारी के बाद ही इसका टाईम टेबल घोषित करती है. इसमें शुभ तिथि आदि का भी बड़ा महत्व होता है. 2024 की अमरनाथ यात्रा शोभन योग और आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में शुरू होगी. यानि 29 जून को अष्टमी तिथि दोपहर 02.19 शाम तक इसे शुरू करने की बात कही जा रही है. वहीं शोभन योग प्रात:काल से शाम 06.54 पीएम तक है. उस दिन उत्तर भाद्रपद नक्षत्र सुबह 08.49 एम तक है, उसके बाद रेवती नक्षत्र है.
अमरनाथ यात्रा की शुरुआत ही नहीं बल्कि समापन की तिथि भी घोषित कर दी गई है. जानकारी के मुताबिक इस साल की अमरनाथ यात्रा 19 अगस्त को समाप्त की जाएगी. यानि उस दिन सावन पूर्णिमा तिथि, सावन का पांचवा सोमवार और भाई बहन के प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन भी होगा.ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक उस दिन शोभन योग होगा. आपको बता दें कि देश में अमरनाथ यात्रा का बहुत महत्व है. हर साल लाखों श्रद्धालु पूरे विधि-विधान से यात्रा को पूरा करते हैं.
अमरनाथ यात्रा के लिए देश में कई बाते कहीं जाती हैं. यदि इसके पौराणिक महत्व की बात करें तो बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी. जिसमें बताया जाता है कि माता पार्वती को कथा के बीच में ही नींद आ गई थी. साथ ही गुफा में भगवान शिव और माता पार्वती के अलावा कबूतर का एक जोड़ा भी मौजूद था. इसी जोड़े ने अमरत्व की कथा को सुन लिया था. बताया जाता है कि भगवान शिव नहीं चाहते थे कि अमरत्व की कथा देवी पार्वती के अलावा कोई और सुने. इसलिए उन्होंने कैलाश से चलते समय नंदी, गणेश जी, वासुकी समेत अन्य गणों को रास्ते में ही छोड़ दिया था.
+ There are no comments
Add yours