Ranchi : झारखंड में 1000 करोड़ अवैध खनन मामले की जांच कर रही ईडी ने इस बात का खुलासा किया है कि साहिबगंज में 1250 करोड़ का अवैध खनन किया गया है. इस अवैध खनन का सरगना जेल में बंद सीएम का विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा है. ईडी की जांच में पता चला कि 23.26 करोड़ घन फीट से अधिक का अवैध खनन किया गया है. जिसका बाजार मूल्य 1250 करोड़ है. ईडी की जांच में पता चला कि साहिबगंज इलाके में बड़े पैमाने पर अवैध खनन का काम किया जा रहा था. अवैध खनन की सीमा का पता लगाने के लिए, ईडी के अधिकारियों के साथ-साथ राज्य सरकार के प्रशासनिक, वन, खनन, प्रदूषण नियंत्रण अधिकारियों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में अवैध खनन गतिविधियों के संयुक्त निरीक्षण किये गये. इस दौरान बड़े पैमाने पर अवैध खनन के साथ-साथ भूमि और वन क्षेत्र के अनावृष्टि की पुष्टि हुई है. संयुक्त निरीक्षण के दौरान, 23.26 करोड़ घन फीट से अधिक का अवैध खनन पाया गया, जिसका अनुमानित बाजार 1250 करोड़ का पता लगाकर निर्धारण किया गया है. ईडी की जांच में यह भी पता चला कि अवैध खनन गतिविधियों का सरगना पंकज मिश्रा था जिसे ईडी ने 19 जुलाई 2022 को गिरफ्तार किया था.
छापेमारी में साहिबगंज डीसी के आवास से नगदी और कारतूस हुआ बरामद
ईडी ने बीते बुधवार को झारखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और बिहार राज्यों में स्थित एक दर्जन ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में सीएम के मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद पिंटू, साहिबगंज डीसी राम निवास यादव और डीएसपी राजेंद्र दुबे सहित अन्य लोगों के ठिकाने पर तलाशी ली गयी. तलाशी अभियान के दौरान, विभिन्न आपत्तिजनक डिजिटल उपकरण, दस्तावेज़/रिकॉर्ड और रुपये की नकदी बरामद की गई. साहिबगंज के डीसी राम निवास यादव के कैंप कार्यालय से 7.25 लाख रुपये सहित 36.99 लाख रुपये, डीसी के आवासीय परिसर से 9 एमएम बोर के 19 कारतूस, .380 मिमी के 2 कारतूस और .45 पिस्तौल के 5 खाली खोखे भी बरामद किये गये. तलाशी के दौरान 30 बेनामी बैंक खातों का भी पता चला और उन्हें फ्रीज कर दिया गया है.
पंकज मिश्रा सहित अन्य पर साहिबगंज में दर्ज मामले के आधार पर जांच हुई थी शुरू
1000 करोड़ के अवैध खनन की जांच कर रहे ईडी ने बिष्णु यादव, पंकज मिश्रा और अन्य के खिलाफ आईपीसी, शस्त्र अधिनियम और जेएमएमसी नियम 2004 की विभिन्न धाराओं के तहत एससी/एसटी थाना, साहिबगंज में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की थी. बाद में हाइकोर्ट के निर्देश पर मामले को सीबीआइ ने अपने हाथ में ले लिया.
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