Ranchi : JMM विधायक सरफराज अहमद ने गांडेय सीट से इस्तीफा दे दिया है. अब ऐसे में सियासी गलियारे में कयासों का दौर शुरू है. आखिर गांडेय में क्या गुल खिलना है. इसी में एक बड़ी चर्चा सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के लिए है. कहा जा रहा कि कहीं ईडी के समन के फेर में सीएम के लिए अब अगर गहरी चुनौती बन आयी तो क्या होगा. ऐसे में बेस्ट विकल्प कल्पना सोरेन के हाथों कमान देना ही है. पहले उन्हें सीएम पद की शपथ दिलायी जायेगी. फिर गांडेय उपचुनाव के जरिये विधानसभा सदस्यता दिलाने का जतन होगा. गांडेय इसलिए भी कि यह झामुमो के लिए लंबे समय से मजबूत गढ़ रहा है. झारखंड बनने से अबतक झामुमो का दबदबा रहा है. बस एक उपचुनाव और 2015 में जयप्रकाश वर्मा ने भाजपा का ध्वज लहराने में सफलता दिलायी थी जो अब झामुमो में जा चुके हैं.
सालखन सोरेन का जलवा
1977 में गांडेय सीट से पहली बार जनसंघ से चुनाव लड़ कर लक्ष्मण स्वर्णकार विधानसभा पहुंचे. फिर 1982 से झामुमो के लिए सालखन सोरेन खूंटा गाड़ते रहे. वैसे 1987 में कांग्रेस से सरफराज अहमद जीते. 1992 में सालखन सोरेन (झामुमो), 1997 में सरफराज अहमद जीते. अलग राज्य बनने के बाद 2004 में झामुमो के सालखन ने ही जीत हासिल की. 2009 में भी सरफराज अहम की जीत हुई थी. फिर 2015 में जयप्रकाश वर्मा ने भाजपा को सफलता दिलायी. 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में झामुमो के टिकट पर सरफराज अहमद विधानसभा पहुंचे. ऐसे में कहा जा रहा है कि आदिवासी, मुस्लिम वोटरों के प्रभाव को देखते गांडेय का गढ़ झामुमो के लिहाज से बेहद मजबूत है.
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