गढ़वा बाइपास: कब्रिस्तान के ऊपर से फ्लाईओवर निर्माण अब तक नहीं हुआ शुरू, विहिप के विरोध से रूका काम

Nikhil Kumar

Ranchi: गढ़वा के अचला नवाडीहा गांव के कब्रिस्तान के पास अब तक न तो रोड बन सका और न ही फ्लाईओवर का निर्माण शुरू हो सका है. इस वजह से नेशनल हाइवे 75 अंतर्गत गढ़वा बाइपास का काम पूरा नहीं हो पा रहा है, काम फंस गया है. वहीं, हिंदूवादी संगठन विश्व हिंदू परिषद ने भी कब्रिस्तान के उपर से फ्लाईओवर निर्माण योजना का विरोध शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि जब सड़क परियोजनाओं के लिए मंदिरों को हटा दिया जाता हे तो फिर कब्रिस्तान क्यों नहीं हट रहा है. विहिप ने राजभ वन जाकर झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को ज्ञापन सौंपा था. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भी सूचना दी गयी है. एनएचएआई के झारखंड के अधिकारियों के समक्ष भी विरोध दर्ज कराया है, अशोक नगर रांची स्थित कार्यालय का घेराव भी किया.  विहिप गढ़वा के अचला नावाडीह स्थित कब्रिस्तान को अवैध बताते हुए उसके उपर फ्लाईओवर बनाने की योजना को निरस्त करने का मांग कर रहा है और कब्रिस्तान को हटा कर वहां से सड़क निकालने का अनुरोध किया है. दरअसल, गढ़वा बाइपास एनएच 75 अंतर्गत अचला नावाडीह स्थित सरकारी गैरमजरूआ भूमि खाता संख्या 114, प्लॉट संख्या 139, रकबा 0.69 एकड़ पर अतिक्रमण कर कब्रिस्तान बना हुआ है. एनएचएआई ने जब इस बाइपास का निर्माण कराया था तो राज्य सरकार से उक्त कब्रिस्तान वाली जगह को अतिक्रमण मुक्त करके जमीन उपलब्ध कराने की मांग की थी. लेकिन, राज्य सरकार ने इससे हाथ खड़े कर दिए और एनएचएआई को फ्लाईओवर या अन्य विकल्प तलाशने को कहा. मामले में पेयजल मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने पहल करते हुए भा रत सरकार से यहां फ्लाईओवर निर्माण की स्वीकृति करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. एनएचएआई द्वारा इस पर करीब 6.29 करोड़ की लागत से फ्लाईओवर निर्माण की स्वीकृति भी मिल गयी लेकिन अभी तक इस पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है.

सीओ ने अतिक्रमण हटाने का दिया था आदेश

विश्व हिंदू परिषद ने इस पर विरोध शुरू कर दिया है. विहिप का कहना है कि छह मार्च 2019 को गढ़वा अंचल अधिकारी ने सड़क निर्माण के लिए  इस भूमि पर से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था उसके बाद सरकरी जमीन को उपायुक्त ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को नियमानुसार मुफ्त हस्तांतरित कर दिया  गया. इस संबंध में एक समुदाय के लोगों द्वारा झारखंड हाइकोर्ट में वाद दायर किया गया. कोई सबुत नहीं उपलब्ध कराने के कारण दिसंबर 2020 में वाद भी निरस्त किया गया.  इधर, 12 दिसंबर को एनएचएआई  द्वारा उपायुक्त गढ़वा से उक्त अतिक्रमित भूमि पर से भौतिक कब्जा प्रदान करने का अनुरोध किया गया. इस पर त्वरित कार्रवाई भी हुई, डीसी के द्वारा उक्त भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने का 22 दिसंबर को आदेश भी जारी हुआ.

विहिप का क्या कहना है

विहिप का कहना है कि सरकार की तुष्टीकरण की नीति के तहत एक पक्ष को खुश करने के दबाव में उक्त स्थल अतिक्रमण मुक्त नहीं हो पाया, साथ ही 27 जून को उक्त अतिक्रमित कब्रिस्तान के उपर से फ्लाईओवर निर्माण की स्वीकृति दी गयी, जो बिलकुल ही गलत है. विहिप के प्रांतीय मंत्री डॉ.बिरेंद्र साहु ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के मध्य किसी प्रकार का मंदिर अथवा हिंदू के धरोहर का स्थानांतरण स्थानीय लोगों के सहमति अथवा प्रशासन के दबाव से होता रहा है. इस मार्ग में भी पड़ने वाले मंदिरों को स्थानांतरित किया जा चुका है परंतु गैरमजरूआ जमीन में अवैध रूप से बना कब्रिस्तान स्थानांतरित करने के बजाय हिंदू समाज की भावना को ठेस पहुंचाते हुए उसके ऊपर से फ्लाईओवर बनने का प्रस्ताव लाया गया है. झारखंड से राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण विभाग के द्वारा एक नया विकल्प बनाया जा रहा है कि मंदिर टूट सकता है परंतु कब्रिस्तान को बचाने के लिए फ्लाईओवर बनाया जा सकता है, यह संविधान सम्मत नहीं है. डॉ साहु ने राज्यपाल से इस पर उचित पहल का भी आग्रह किया है, कहा है कि पूर्व के डीपीआर के अनुसार ही सड़क निर्माण कराया जाये. फ्लाईओवर निर्माण योजना को निरस्त करने की भी मांग की. इधर, एनएचएआई भी इस पर अब तक निर्णय नहीं ले सका है, जिसके परिणामस्वरूप यहां पर निर्माण कार्य लटका हुआ है. अधिकारियों का कहना है कि जल्द निर्माण कार्य शुरू करने का प्रयास हो रहा है.

 

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