Dhanbad: धनबाद के पुराना स्टेशन के पास में रविवार को पेंशनर दिवस के अवसर पर रेलवे रिटायरमेंट एसोसिएशन ने पेंशनर दिवस मनाया गया. इस कार्यक्रम में सैकड़ो रेल कर्मचारी, केंद्र कर्मचारी, राज्य सरकार के कर्मचारी, केंद्रीय अंडरटेकिंग कर्मचारी, प्राइवेट कर्मचारी और कार्यरत कर्मचारियों ने हिस्सा लिया. एमके बनर्जी ने कहा कि 1983 से हर साल 17 दिसंबर को पेंशनर दिवस के रूप में मनाते हैं.
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उन्होंने बताया कि पेंशन व्यवस्था अंग्रेज़ों द्वारा लागू की गई थी, लेकिन आज़ादी के बाद कुछ कारणों से बंद हो गई. तब 1972 में डीएस नकारा भारतीय रक्षा सेवा में वित्त सलाहकार के रूप में काम करते हुए वह सेवानिवृत्त हुए. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर कर कहा कि उन्होंने देश की कितनी सेवा की है, यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उन्हें बुढ़ापे में सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करे.
इस पर सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश, महान न्यायाधीश वाईबी चंद्र चौधरी ने 17 दिसंबर 1982 को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया कि पेंशन कर्मचारी का अधिकार है और यह सरकार की मीठी इच्छा नहीं है जैसे लोग भिखारियों को कुछ देकर मदद करते हैं. पेंशन पाना सेवानिवृत्त लोगों का अधिकार है. इसीलिए इस फैसले को पेंशनभोगियों का “मैग्ना कार्टा” कहा जाता है. उस महान व्यक्ति के उस दिन किये गये प्रयासों के फलस्वरूप आज सभी सेवानिवृत्त कर्मचारी सुखी जीवन जी रहे हैं.इस कार्यक्रम में बीआर सिंह, एसपी साहा, एलडी दास, एनके खावस, बासदेव मंडल, डी एल महतो, अरुण प्रसाद, अनिल कुमार सिन्हा, रहमान और एसएन राम आदि मौजूद थे.
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