बर्ड फ्लू की चपेट में दुनिया, जाने क्या है इसके लक्षण

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Bird Flu Symptoms: बर्ड फ्लू पक्षियों और पशुओं में होने वाला एक इंफेक्शन है, जो इंसानों में इससे संक्रमित जीव-जंतुओं के कारण पहुंच सकता है. हाल ही में केंद्रीय सरकार ने इस वायरस के प्रकोप से बचाव और रोकथाम के लिए देश के चार राज्य महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, झारखंड, केरल में एडवाइजरी जारी की है.

इसमें के तहत सभी पोल्ट्री फार्म को मुर्गी, पक्षियों व पशुओं की असामान्य मौत की जानकारी तुरंत पशुपालन विभाग को देना होगा. साथ ही मुर्गी पालको को हर दस दिन में अपना हेल्थ चेकअप भी कराना जरूरी है. इतना ही नहीं इस वायरस से निपटने के लिए पर्याप्त संख्या में एंटीवायरल दवाओं, पीपीई, मास्क आदि के पुख्ता इंतजाम के साथ राज्यों को तैयार रहने का आदेश मिला है. बता दें बर्ड फ्लू का खतरा सिर्फ पशु-पक्षियों तक सीमित नहीं है. आप डेयरी प्रोडक्ट या चिकन-मटन का सेवन करते हैं तो आप भी इससे संक्रमित हो सकते हैं. पिछले दिनों में अमेरिका में बर्ड फ्लू के 3 मरीज मिले हैं. ऐसे में बचाव के लिए यह लेख आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है.

बर्ड फ्लू को एवियन इन्फ्लूएंजा (H5N1) के नाम से भी जाना जाता है. एवियन इन्फ्लूएंजा या बर्ड फ्लू एवियन (पक्षी) इन्फ्लूएंजा (फ्लू) टाइप ए वायरस के संक्रमण से होने वाली बीमारी को है. ये वायरस स्वाभाविक रूप से दुनिया भर में जंगली जलीय पक्षियों में फैलते हैं और घरेलू मुर्गी और अन्य पक्षी और पशु प्रजातियों को संक्रमित कर सकते हैं.

बहुत अधिक बुखार या गर्मी या कंपकंपी महसूस होना
मांसपेशियों में दर्द
सिरदर्द
खांसी या सांस लेने में तकलीफ
दस्त
रोग
पेट दर्द
छाती में दर्द
नाक और मसूड़ों से खून आना
आंख आना

एनएचएस के अनुसार, बर्ड फ्लू संक्रमित पक्षी के निकट संपर्क से फैलता है. इसके अलावा संक्रमित पक्षियों को छूना, उनके मल या बिस्तर को छूना, संक्रमित मुर्गी को मारना या खाना पकाने के लिए तैयार करने से भी यह वायरस फैलता है. ध्यान रखें पूरी तरह से पके हुए मुर्गे या अंडे खाने से बर्ड फ्लू का इंफेक्शन नहीं होता है.

यदि आपको बर्ड फ्लू के कोई लक्षण महसूस होते हैं और आपने पिछले 10 दिनों में बर्ड फ्लू से प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया है, तो आपको डॉक्टर से तुरंत जांच करवाना चाहिए. ध्यान रखें 3-5 दिन में बर्ड फ्लू के लक्षण नजर आने लगते हैं.

बर्ड फ्लू के लक्षणों को कम करने के लिए एंटीवायरल दवाएं दी जाती है. इससे स्थिति की गंभीरता को कम करने, जटिलताओं को रोकने और बचने की संभावनाओं को बेहतर बनाने में मदद करती हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, एच5एन1 पहली बार 1997 में मनुष्यों में पाया गया था और इससे संक्रमित लोगों में से लगभग 60 प्रतिशत की मौत हो चुकी है. हालांकि वर्तमान में, वायरस को मानव-से-मानव संपर्क के माध्यम से फैलने के लिए नहीं जाना जाता है. लेकिन वक्त पर उपचार नहीं मिलने के कारण इससे मौत का जोखिम होता है.

 

 

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