Ranchi : भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वह पूर्व की भाजपा सरकार के कामों को अपना बता कर वाहवाही बटोरने में लगी है.
पथ एवं भवन निर्माण विभाग द्वारा गुरुवार को प्रेस वार्ता में दी गई सरकार के उपलब्धियों को उन्होंने छलावा बताया. भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि झारखंड सरकार राज्य की जनता को बेवकूफ बनाने में लगी है. राज्य सरकार द्वारा रघुवर सरकार के किये गये कामों को अपना बता रही है. जिस झारखंड भवन को हेमन्त सरकार अपनी सरकार की उपलब्धियों में शामिल कर बताने में लगी है, वह रघुवर सरकार की देन है. साथ ही झारखण्ड विधानसभा, झारखंड उच्च न्यायलय, रांची प्रेस क्लब भवन, हज हाउस जैसे भवनों का निर्माण कार्य भाजपा सरकार की देन है. रघुवर सरकार के 5 वर्ष के कार्यकाल में 22865 किमी सड़क का निर्माण किया गया था. वहीं राज्य सरकार के प्रेस वार्ता के माध्यम से बताया गया कि मात्र 5200 किमी सड़क ही हेमंत सरकार में बनी है.
श्री मुंडा ने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त सरकार अपने चहेतों को काम दिलाने के कारण पहले संवेदक तय कर देती है और काम पूरा होने पर टेंडर निकालती है. बीते चार वर्षों में झारखंड राज्य में भ्रष्टाचार ने सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं. स्वाभाविक है, भवन निर्माण विभाग और पथ विभाग इससे अछूता नहीं है. पूरे राज्य में विभागों में लूट मची हुई है. यह विभाग कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है. चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के 9 महीने में भवन निर्माण के योजना बजट की 5350 करोड़ की कुल राशि में से 44.61 प्रतिशत राशि ही खर्च हो सकी है. भवन निर्माण विभाग में स्वीकृत 1749 पद के मुकाबले केवल 497 ही कार्यरत हैं जबकि 1252 पद रिक्त हैं. भवन निर्माण विभाग में नियम कायदों को ताक पर रखकर टेंडर का खेल चलता रहा है. पहले काम, फिर टेंडर की परंपरा चल रही है. चहेते ठेकेदारों को पहले काम दिया जा रहा है फिर दिखावे के लिए टेंडर प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है. विभाग के अफसर गाइडलाईन को पूरी तरह नजरअंदाज कर रहे हैं. जमशेदपुर सर्किट हाउस भवन की 6.76 लाख रुपये की मरम्मति, सर्किट हाउस चहारदीवारी की 4.98 लाख रूपये से मरम्मति, 24.87 लाख की लागत से भालकी पंचायत भवन और इतनी ही लागत से सिंहपूरा पंचायत भवन की मरम्मति कार्य का मामला एक उदाहरण भर है. इन योजनाओं का टेंडर काम होने के उपरांत निकाला गया.
श्री मुंडा ने कहा कि भवन निर्माण विभाग में अफसरशाही किस कदर हावी है, इससे साफ समझा जा सकता है कि एमजीएम मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने गये स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दो-दो बार फोन करने के बावजूद भवन निर्माण विभाग के सचिव द्वारा नहीं उठाया जाता है. विभाग में जेई तबादले के वर्षों बाद भी रिलीव नहीं होते, उन पर रजिस्टर्ड ठेकेदारों के साथ पार्टनरशिप में ठेकेदारी का आरोप लगता रहा है. भवन निर्माण विभाग के अधिकांशतः प्रमंडल प्रभार व्यवस्था के भरोसे हैं. एक इंजीनियर कई इंजीनियरों का काम संभाल रहे हैं. कई जगहों पर कार्यपालक अभियंता का पद खाली है.
श्री मुंडा ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के 9 महीने में पथ निर्माण के योजना बजट की 631 करोड़ की कुल राशि में से 56.65 प्रतिशत राशि ही खर्च हो सकी है.
पथ निर्माण विभाग में स्वीकृत 3601 पद के मुकाबले केवल 1654 ही कार्यरत हैं जबकि 1947 पद रिक्त है. सुव्यवस्थित परिवहन व्यवस्था किसी भी राज्य में विकास का आईना मानी जाती है. लेकिन हेमंत सोरेन सरकार में सड़कों की बदहाल स्थिति जगजाहिर है. राजधानी रांची सहित ग्रामीण इलाकों की सड़कें बदहाल हैं. कई कॉरिडोर परियोजनाएं जमीन तो कहीं फॉरेस्ट क्लीयरेंस के कारण फंसी हुई हैं. पूरे राज्य में जमीन की लूट खसोट करने और करवाने वाली राज्य सरकार को राजधानी में सड़क के लिए जमीन नहीं मिल रही है. भू अर्जन कार्यालय में लगभग 600 करोड़ पड़े हुए हैं, भुगतान नहीं होने से कई प्रोजेक्ट का प्रभावित होना स्वाभाविक है. रैयतों को भुगतान नहीं हो रहा है, इस कारण भी कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं.
श्री मुंडा ने कहा कि पथ निर्माण विभाग में इंजीनियरों की बड़ी कमी है. इसमें सहायक अभियंता से लेकर कार्यपालक अभियंता, अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता, अभियंता प्रमुख के पद शामिल हैं. झारखंड में 25 करोड़ तक का टेंडर लोकल ठेकेदार को देने का कितना लाभ स्थानीय युवाओं को कितना मिला है, यह सरकार को बताना चाहिए.
प्रेस वार्ता में प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी एवं प्रदेश मीडिया सह प्रभारी अशोक बड़ाईक भी उपस्थित थे.
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