New Delhi: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट की जगह लाए गए तीन विधेयकों को अपनी मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति की मुहर लगने के साथ ही ये विधेयक क़ानून बन गए हैं. इनके नाम भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य क़ानून हैं. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम अब तक चले आ रहे भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे.
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नए कानूनों पर कांग्रेस को संदेह
कांग्रेस ने कहा है कि कानूनी मामलों के जानकारों का कहना है कि नए आपराधिक कानूनों के नतीजे ‘भयानक’ हो सकते हैं. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने विपक्ष के 140 से अधिक सांसदों को ‘जानबूझ कर’ निलंबित कराया और ये कानून पारित कराए गए.
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा- “ भारत के 146 सांसदों को जानबूझकर निलंबित किया गया और बीते हफ्ते ही संसद से पारित किए गए गए तीन आपराधिक न्याय विधेयकों को अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. कई प्रतिष्ठित वकील और कानून के जानकार पहले ही इसके विनाशकारी परिणामों की ओर इशारा कर चुके हैं, खासकर समाज के सबसे वंचित वर्गों के लिए इसके भयानक अंजाम हो सकते हैं.”
क्या है कुछ नए प्रावधान
इस कानून के प्रभाव में आने से पुलिस कस्टडी की अवधि मौजूदा 15 दिन से बढ़ कर 90 दिनों तक के लिए ली जा सकेगी. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को एक नए अपराध की कैटेगिरी में डाला गया है. जबकि तकनीकी रूप से राजद्रोह को आईपीसी से हटा दिया गया है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी रोक लगा दी थी, यह नया प्रावधान जोड़ा गया है. इसमें किस तरह की सजा दी जा सकती है, इसकी विस्तृत परिभाषा दी गई है. आतंकवादी कृत्य, जो पहले गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे विशेष कानूनों का हिस्सा थे, इसे अब भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है. इसके साथ ही मॉब लिंचिंग में आजीवन कारावास का प्रावधान रख गया है.
क्या कहा था पीएम और केंद्रीय गृह मंत्री ने
बता दें कि बीते दिनों संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन विधेयकों के राज्यसभा से पारित होने पर कहा था कि ‘ये हमारे इतिहास का एक अहम क्षण है.’ उन्होंने कहा, “ये विधेयक औपनिवेशिक युग के कानूनों के अंत के प्रतीक हैं. लोक सेवा और कल्याण पर आधारित क़ानून से एक नए युग की शुरुआत होती है.’
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नए आपराधिक कानून की आत्मा, शरीर और विचार भारतीय हैं. गृह मंत्री ने कहा, “हमने कहा था कि न्याय मिलने की गति बढ़ाएंगे, क़ानूनों को सरल बनाएंगे, क़ानूनों को भारतीय बनाएंगे और न्यायिक एवं न्यायालय प्रबंध व्यवस्था को सुदृढ़ बनाएंगे. ये जो मैं पढ़ रहा हूं, ये हमारे संकल्प पत्र का हिस्सा है. मान्यवर, उस समय मैं ही पार्टी का अध्यक्ष था. आज इस सदन में हम पूरा करने का काम कर रहे हैं.”
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