हरक सिंह रावत के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी

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New Delhi: उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने की छापेमारी. हरक सिंह के 17 लोकेशन पर ईडी ने छापेमारी की है. दरअसल, ईडी ने फॉरेस्ट लैंड घोटाले के तहत ये कार्रवाई की है. पीएमएलए के तहत इस कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है. पिछले साल भी अगस्त में उत्तराखंड विजिलेंस विभाग ने हरक सिंह रावत के खिलाफ कार्रवाई की थी

दो मामलों में हरक सिंह रावत के ठिकानों पर छापेमारी की गई है. एक मामला जमीन घोटाले का और दूसरा अवैध पेड़ों की कटाई का है. इन्हीं दो मामलों में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत कार्रवाई की जा रही है. बीजेपी की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने साल 2019 में पाखरो में टाइगर सफारी निर्माण के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी मांगी थी. इसके बाद पाखरो में 106 हेक्टेयर वन भूमि पर कार्य शुरू किया गया था.

उत्तराखंड सरकार की ओर से कहा गया था कि इस प्रोजेक्ट के लिए केवल 163 पेड़ काटे जाएंगे लेकिन बाद में हुई जांच में पता चला कि इस दौरान बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए. एक वन्यजीव कार्यकर्ता गौरव बंसल ने सबसे पहले ये मामला दिल्ली हाईकोर्ट में उठाया था. साल 2021 में इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट ने एनटीसीए को मामले की जांच करने के लिए कहा था. एनटीसीए की गठित समिति ने सितंबर 2021 में कॉर्बेट पार्क का निरीक्षण किया और 22 अक्टूबर 2021 को अपनी रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में एनटीसीए ने मामले की विजिलेंस जांच और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी.

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इसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2021 में मामले का स्वत: संज्ञान लिया और उत्तराखंड वन विभाग ने फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया को जांच करवाई. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने पूरे एरिया (पाखरो, कालू शहीद, नलखट्टा और कालागढ़ ब्लॉक) का सैटेलाइट इमेज के जरिए और फील्ड निरीक्षण से पता लगाया कि 163 की जगह 6,903 पेड़ काटे गए. इसके बाद मामले ने तूल पकड़ली लेकिन वन विभाग ने रिपोर्ट को नहीं माना.

मामले पर अक्टूबर 2022 में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 3 सदस्यीय कमेटी बनाई. इस समिति में एडीजी वाइल्ड लाइफ विभाग, एडीजी प्रोजेक्ट टाइगर और डीजी फॉरेस्ट शामिल थे. मार्च 2023 में इस कमेटी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को रिपोर्ट सौंपी और निर्माण के नाम पर अवैध कार्यों की पूरी जानकारी दी और जिम्मेदार अधिकारियों के नाम भी रिपोर्ट में लिखे. इस रिपोर्ट में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत समेत 8 अधिकारियों का नाम शामिल था.

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