किसान आंदोलन: प्रदर्शनकारी किसान और हरियाणा पुलिस के बीच झड़प

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New Delhi: देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर किसानों और केंद्र के बीच टकराव की वजह से जंग का मैदान बनने को तैयार है. किसान नेताओं की केंद्रीय मंत्रियों संग बैठक बेनतीजा रहने के बाद किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ मार्च का ऐलान कर दिया है.

पंजाब के किसान दिल्ली की ओर कूच कर चुके हैं और हरियाणा बॉर्डर पर पुलिस के साथ लगातार भिड़ रहे हैं. पिछली बार जहां किसान कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार के खिलाफ हल्लाबोल रहे थे, तो इस बार किसान एमएसपी पर कानूनी गारंटी और कर्ज माफी के मुद्दे समेत कई मांगों को लेकर सड़क पर उतरे हैं.

पंजाब के किसानों ने मंगलवार को 10 बजे दिल्ली कूच किया, जहां हरियाणा के शंभू और जींद बॉर्डर पर जमकर संग्राम देखने को मिला. प्रदर्शनकारी किसान और हरियाणा पुलिस के बीच कई बार अलग-अलग सीमाओं पर झड़प देखने को मिली.

किसानों के मार्च के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की है. इसमें बताया गया है कि एनएच-44 पर हरियाणा जाने वाले और भोपुरा बॉर्डर तक पहुंचने वाले वाहन लोनी भोपुरा रोड – कोयल एन्क्लेव थाना टीला मोड़ लोनी – बंथला फ्लाईओवर हनुमान मंदिर लोनी – पूजा पावी पंचलोक – मंडोला – मसूरी – खेकड़ा (26) की ओर यू टर्न ले सकते हैं और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर जा सकते हैं. गाजियाबाद से दिल्ली की ओर आने वाला लोग आईएसबीटी आनंद विहार के पास महाराजपुर बॉर्डर से वैशाली-कौशांबी के रास्ते प्रवेश कर सकते हैं.

 किसानों की मांगें

  • फसलों की एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी.
  • स्वामीनामथन आयोग की रिपोर्ट लागू हो.
  • किसानों के कर्ज माफ हों.
  • भूमि अधिग्रहण 2023 दोबारा लागू किया जाए.
  • लखीमपुर खीरी केस के दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो.
  • मुक्त व्यापार समझौते पर रोक हो.
  • संविधान 5 की सूची को लागू कर आदिवासियों का जमीन की लूट बंद हो.
  • मिर्ची-हल्दी समेत मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन हो.
  • नकली बीज और कीटनाशक बेचने वाली कंपनियों पर एक्शन के लिए बने कानून.
  • मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम मिले और 700 रुपए मजदूरी दी जाए.
  • विद्युद संशोधन विधेयक 2020 को रद्द कर दिया जाए.
  • किसान आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामले हो वापस.

केंद्र सरकार ने 2020-21 के पिछले किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने पर सहमति जताई है. केंद्र सरकार ने 2020-21 के आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने पर सहमति जताई है.

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