Ranchi: झारखंड में अफीम, चरस, गांजा जैसे मादक पदार्थों की बिक्री एवं इसके रोकथाम को लेकर कोर्ट के स्वत: संज्ञान की सुनवाई आज झारखंड हाई कोर्ट में हुई. मामले में हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार का जवाब देखते हुए इस जनहित याचिका को बंद करते हुए निष्पादित कर दिया. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन एवं अधिवक्ता पियूष चित्रेश की ओर से कोर्ट को बताया गया कि झारखंड पुलिस ने पिछले कई महीनो में राज्य के कई जिलों में अवैध रूप से चल रहे कई हेक्टेयर में अफीम की खेती को नष्ट किया है. अफीम, चरस, गांजा के तस्करों पर पुलिस ने लगाम लगाया है.
मादक पदार्थों के खरीद बिक्री करने वाले पकड़े जा रहे हैं. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो से मिले इनपुट के आधार पर पुलिस मादक पदार्थ की खेती को नष्ट कर रही है और मादक पदार्थों के खरीद बिक्री करने वालों को गिरफ्तार कर रही है. अफीम की खेती नष्ट किए जाने से संबंधित कार्रवाई टेबुलर चार्ट के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत किया गया. कोर्ट ने सरकार के जवाब पर संतुष्टि जताते हुए इस जनहित याचिका को बंद कर दिया.
दरअसल, खूंटी में अफीम के फसलों को नष्ट करने एवं झारखंड में अफीम, चरस, गांजा आदि ड्रग्स के कारोबार में लगातार वृद्धि पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था.