महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस को पत्र लिखकर मांगी इच्छा मृत्यु, कहा -‘मैं ज़िंदा लाश बन गई हूं’

New Delhi: उत्तर प्रदेश की एक जूनियर सिविल जज ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है. इस महिला जज ने एक सीनियर जज पर ‘यौन उत्पीड़न’ के आरोप लगाये हैं और कहा है कि उसे न्याय नहीं मिल सका है. इस जूनियर सिविल जज का आरोप है कि एक जिला जज ने उनका यौन उत्पीड़न किया और रात में मिलने का दबाव बनाया.

शिकायत पर भी नही मिला न्याय

महिला जज का आरोप है कि उन्होंने 2022 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को शिकायत दी और फिर प्रशासनिक जज को भी शिकायत दी लेकिन कोई राहत नहीं मिली.महिला जज ने जुलाई 2023 में आंतरिक शिकायत समिति को भी शिकायत दी. अपने पत्र में महिला जज ने लिखा है, “हज़ारों ईमेल और छह महीनों के बाद जांच शुरू हो सकी.”

महिला जज ने जांच पूरी होने तक जिला जज के तबादले की मांग की हैं. शिकायतकर्ता जज का कहना है कि इस मामले में गवाह जिला जज के कनिष्ठ कर्मचारी है और वो उनके पद पर रहते हुए स्वतंत्र रूप से अपनी बात नहीं रख सकेंगे. शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी जिला जज के तबादले के लिए याचिका दायर की थी. लेकिन उनका आरोप है कि ‘8 सेकंड के भीतर ही उनकी याचिका खारिज कर दी गई.’

अपने पत्र में महिला जज ने लिखा है, “ये जांच अब ऐसे होगी कि जिला जज के नियंत्रण में ही सभी गवाह होंगे. हम सभी ऐसी जांच का नतीजा जानते हैं.”

अपने पत्र में महिला जज ने कहा है कि इन सभी कारणों की वजह से उनकी अब जिंदा रहने की कोई इच्छा नहीं है.महिला जज ने लिखा है, “पिछले डेढ़ साल में मैं ज़िंदा लाश बन गई हूं. मेरी ज़िंदगी का अब कोई मक़सद बाकी नहीं रह गया है.”उनका कहना है कि इस वजह से ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इच्छा मृत्यु की मांग की है.

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