संसद का शीतकालीन सत्र तय समय से एक दिन पहले खत्म, कैसा रहा कामकाज

New Delhi: संसद का शीतकालीन सत्र गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. हालांकि संसद का यह सत्र शुक्रवार तक चलना था, लेकिन तीनों आपराधिक विधेयक राज्यसभा से पारित होने के बाद इसे एक दिन पहले ही स्थगित करने का एलान किया गया. संसद के इस साल का यह आख़िरी सत्र चार दिसंबर से शुरू हुआ था और इसे शुक्रवार यानी 22 दिसंबर तक चलना ​तय था. पहले संसद की सुरक्षा में सेंध लगने और फिर विपक्ष के हंगामे के बाद सांसदों के निलंबन से संसद का शीतकालीन सत्र गरम रहा.

जानकारों की राय के मुताबिक इस सत्र के शुरू होने के एक दिन पहले तीन राज्यों के चुनावों में बीजेपी को मिली जीत के बाद लगा था कि यह सत्र शांतिपूर्ण तरीक़े से गुजरेगा. लेकिन 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में सेंध लगने के बाद पूरा माहौल ही बदल गया. इस बारे में चर्चा कराने और प्रधानमंत्री या गृह मंत्री के बयान की मांग करते हुए विपक्ष ने दोनों सदनों की कार्यवाही चलने नहीं दी.

इसके बाद अनियंत्रित व्यवहार और कदाचार करने पर लोकसभा के 100 और राज्यसभा के 46 सांसदों सहित कुल 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया. इसके विरोध में विपक्षी सांसदों ने गुरुवार को संसद भवन से विजय चौक तक विरोध मार्च भी निकाला.संसद का अगला सत्र अब अगले साल जनवरी के अंत में शुरू होने वाला बजट सत्र होगा.

कैसा रहा शीतकालीन सत्र

इस सत्र में लोकसभा ने कुल 18 तो राज्यसभा ने 17 विधेयक पारित किए. प्रमुख विधेयकों में तीन आपराधिक विधेयकों (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम) के साथ जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (दूसरा संशोधन) विधेयक, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति विधेयक, दूरसंचार विधेयक, डाकघर विधेयक, प्रेस और पीरियोडिकल्स रजिस्ट्रेशन विधेयक आदि प्रमुख रहे.

लोकसभा

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बताया कि इस सत्र के दौरान लोकसभा की उत्पादकता 74 प्रतिशत रही. इस सत्र में निचले सदन की कुल 14 बैठकों के दौरान क़रीब 62 घंटे की कार्यवाही हुई. उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान 55 तारांकित प्रश्नों के मौखिक जवाब दिए गए. नियम 377 के तहत कुल 265 मामले उठाए गए. लोकसभा की स्थायी समितियों ने कुल 35 रिपोर्टें पेश कीं. निर्देश 73ए के तहत 33 बयान और संसदीय कार्य से संबंधित कुल 34 बयान दिए गए. उन्होंने बताया कि लोकसभा के पटल पर 1,930 कागज़ात रखे गए.

राज्यसभा

वहीं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि शीतकालीन सत्र के दौरान उच्च सदन की उत्पादकता 79 प्रतिशत रही. इस सत्र में उच्च सदन ने कुल 14 बैठकों के दौरान क़रीब 65 घंटे तक काम किया और 2,300 से अधिक सवालों के जवाब दिए गए. इस दौरान 4,300 से अधिक कागज़ात पटल पर रखे गए.

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