Ranchi: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झामुमो प्रवक्ता के उस बयान पर जबरदस्त पलटवार किया है कि सीआरपीएफ का दुरुपयोग कर मुख्यमंत्री की पूछताछ के दौरान राज्य में बदहाल स्थिति पैदा करने की कोशिश की जा रही थी. प्रतुल ने कहा कि शनिवार को ऐसा प्रतीत हो रहा था कि भ्रष्टाचार के आरोप पर चौतरफा घिरे मुख्यमंत्री ध्यान बंटाने के लिए सारी मर्यादा तोड़ रहे हैं. ऐसा लग रहा था कि झामुमो का शीर्ष नेतृत्व झामुमो कार्यकर्ताओं से हिंसा तक करवा देंगे. धारा 144 लगे होने के बावजूद मुख्यमंत्री के आह्वान पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के 10000 कार्यकर्ता हथियार लेकर मुख्यमंत्री के घर के पास पहुंच गए. मुख्यमंत्री इन कार्यकर्ताओं के जरिए क्या देश की न्यायिक व्यवस्था, न्यायाधीशों, केंद्रीय एजेंसी या देश के संविधान को डराना चाह रहे थे. भय का माहौल तो यह सरकार पैदा कर रही थी.
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प्रतुल शाहदेव ने कहा कि मुख्यमंत्री आवास के पास जब धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू था तो उसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के हजारों कार्यकर्ताओं को प्रशासन ने कैसे हथियार के साथ जाने की अनुमति दी? मुख्यमंत्री आवास में विधायकों और मंत्रियों का भी बिना बात का जमावड़ा लगा रहा. शनिवार को लगातार सारे टीवी चैनलों में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं और कार्यकर्ताओं का ईडी के अधिकारियों पर हमला और सेंदरा करने का आह्वान दिखता रहा. जब ईडी के अधिकारी जा रहे थे तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और कार्यकर्ता उन पर भड़काऊ नारे लगाते दिखे. बीच में तो स्थिति इतनी तनाव पूर्ण हो गई थी कि लग रहा था कि ईडी के अधिकारियों पर के साथ कोई भी अप्रिय घटना हो सकती है. प्रतुल ने कहा कि मुख्यमंत्री तो खुद कानून का मखौल उड़ाते रहे.खुद ईडी के दफ्तर पूछताछ कराने नहीं गए. घर बुलाकर पूछताछ कराया. मुख्यमंत्री खुद चाहते थे परिस्थितियां बिगड़े और लाठी गोली चले. अगर कल सीआरपीएफ नहीं आता तो ईडी के साथ किसी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता था. पूछताछ के दौरान जिस तरीके से झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने भड़काऊ नारे लगाए, धारा 144 का उल्लंघन किया, अभी तक उनके खिलाफ कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं होना यह सिद्ध करता है कि यह सारा प्रदर्शन स्टेट के द्वारा प्रायोजित था.
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