उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे मज़दूरों को बाहर निकालने में अब प्लाजमा मशीन बनेगी मददगार

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Uttarkashi:  पिछले 14 दिनों से उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए अब हैदराबाद से प्लाज़्मा मशीन मंगाई जा रही है. इस मशीन के शाम तक पहुंचने की उम्मीद है. ऑगर मशीन टूटने के बाद प्लाज़्मा मशीन को ड्रिलिंग में लगाया जाएगा, जो एक घंटे में चार मीटर की खुदाई कर सकता है. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को यह जानकारी दी.  उन्होंने दावा किया है कि प्लाज़्मा मशीन के काम शुरू करने के बाद कुछ घंटों में मजदूरों को निकाल लिया जाएगा.
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धामी के अनुसार, सुरंग से मज़दूरों को निकालने के लिए सभी विकल्पों पर काम किया जा रहा है. इसके लिए वर्टिकल ड्रिलिंग का काम भी शुरू कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि यह ऑपरेशन जल्द से जल्द पूरा हो. उन्होंने बताया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोज़ मज़दूरों की कुशलता और उन्हें बाहर निकाले जाने को लेकर चल रहे बचाव अभियान की पूरी जानकारी ले रहे हैं.” “केंद्रीय एजेंसियां, राज्य प्रशासन और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की टीमें मज़दूरों को बाहर निकालने के इस अभियान में साथ काम कर रही हैं और हम जल्द ही सफलतापूर्वक अपने भाइयों को बाहर निकालने में कामयाब हो जाएंगे.”

सीएम धामी के अनुसार, वहां पर सारे संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन यदि किसी चीज़ की ज़रूरत पड़ रही है, तो उसे जल्द से जल्द मंगाया जा रहा है. समाचार एजेंसियों के मुताबिक़ सुरंग के बाहर कुछ दूरी पर ही 10 बेड वाले हॉस्पिटल, 40 एंबुलेंस, 20 डॉक्टर और 35-40 सपोर्ट स्टाफ़ मौजूद हैं. वहीं सुरंग से क़रीब 50 किलोमीटर दूर चिन्यालिसारू में 41 बेड वाला एक अस्पताल स्थापित किया गया है.

सुरंग में फंसी ऑगर मशीन निकाली गई बाहर

इससे पहले मज़दूरों को निकालने के लिए इस्तेमाल की जा रही ऑगर मशीन के कटर टूटने की वजह से ड्रिलिंग का काम रुक गया था और ऑगर मशीन सुरंग में ही फंस गई थी. शनिवार की सुबह इस टूटी हुई ऑगर मशीन को बाहर निकालने में सफलता मिली. अब वहां वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन लाई गई है. इसके अलावा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने वाले मैनुअल ड्रिलिंग पर भी विचार कर रहे हैं.

बुधवार शाम को भी पाइप लाइन बिछाने का काम लोहे के सरियों से बाधित हुआ था क्योंकि इसने ऑगर मशीन के काम को रोक दिया था. एसजेवीएनएल ड्रिलिंग का और पाइप लाइन का काम देख रही है. ये एक सरकारी परियोजना है. रेलवे भी सुरंग बनाने का काम देखती है तो उसके भी एक्सपर्ट्स और अधिकारी मौजूद हैं.

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