बसपा सुप्रीमो मायावती का अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान, राम मंदिर को लेकर कहा- मिला निमंत्रण, लेकिन जाने पर अभी फैसला नहीं

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Lucknow: बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी किसी अन्य दल या गठबंधन से कोई गठजोड़ नहीं करेगी. मायावती ने कहा, “हमारी पार्टी लोकसभा आम चुनाव अकेले ही लड़ेगी. किसी भी पार्टी या गठबंधन के साथ चुनाव नहीं लड़ेगी.”

राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर बोलीं मायावती

वहीं मायावती ने कहा है कि उन्हें अयोध्या के राम मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण मिला है लेकिन कार्यक्रम में जाने को लेकर अभी उन्होंने कोई फ़ैसला नहीं किया है. मायावती ने कहा, “अभी मैं अपनी पार्टी के काम में बहुत व्यस्त हूं. लेकिन अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर को लेकर जो भी कार्यक्रम होने जा रहा है, उस पर हमारी पार्टी को कोई एतराज नहीं है. उसका हम स्वागत करते हैं.”

मायावती ने इस मौके पर बाबरी मस्जिद का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा, “जब बाबरी मस्जिद को लेकर भी ऐसा कोई कार्यक्रम होता है तो उसे लेकर भी हमारी पार्टी को कोई भी एतराज नहीं होगा, उसका भी हम स्वागत करेंगे.” मायावती ने कहा, “हमारी पार्टी धर्मनिरपेक्ष पार्टी है. हमारी पार्टी सभी धर्मों का एक बराबर सम्मान करती है.”

‘फ्री में समर्थन नहीं’

मायावती आज अपना जन्मदिन मना रही हैं. इस मौके पर उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें मायावती ने गठजोड़ के सवाल पर विस्तार से बात की. मायावती ने कहा, “हमारी पार्टी को गठबंधन से फ़ायदा कम नुक़सान ज़्यादा होता है.” उन्होंने दावा किया कि बीएसपी से गठजोड़ का फ़ायदा दूसरे दलों को होता है. मायावती ने कहा, “इसीलिए देश में अधिकांश पार्टियां बीएसपी से गठबंधन करके चुनाव लड़ना चाहती हैं. ” उन्होंने कहा, “पार्टी और मूवमेंट के हित में अकेले चुनाव लड़ना होगा.”

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी ‘लोकसभा चुनाव (किसी दल से) मिलकर नहीं लड़ेगी.’ उन्होंने दावा किया कि चुनाव नतीजों के बाद उनकी पार्टी किसी और दल या गठजोड़ को ‘बाहर से फ़्री में समर्थन देने वाली नहीं है.’ इस मौके पर मायावती ने एक किताब का विमोचन भी किया.

गठबंधन इंडिया में शामिल होने की लग रही थी अटकलें

बीते कुछ दिनों से मायावती के विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने दावा किया था कि वो मायावती की पार्टी से बात कर रहे हैं. इस बीच, अखिलेश यादव ने सवाल उठाया था कि चुनाव के बाद ‘मायावती की गारंटी कौन लेगा?’ अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी से गठजोड़ किया था. चुनाव के बाद ये गठजोड़ टूट गया था. अखिलेश के बयान के बाद मायावती ने उन पर पलटवार किया था और समाजवादी पार्टी पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया था.

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