वाहनों में नेम प्लेट लगा सकेंगे पीसीसीएफ, अध्यक्ष राज्य पिछड़ा वर्ग और वाणिज्यकर सेवा के अफसर, परिवहन विभाग ने अधिसूचना जारी की

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Nikhil Kumar

Ranchi: राज्य सरकार ने वाहनों में बोर्ड, पट्ट का प्रयोग करने के लिए परिवहन विभाग की 10 मार्च 2021 को अधिसूचना व गाइडलाइन में संशोधन किया है. वन सेवा व वाणिज्यकर सेवा के अधिकारियों सहित अध्यक्ष पिछड़े वर्ग आयोग को वाहनों में बोर्ड, पट्ट, नेम प्लेट इस्तेमाल की अनुमति दी गयी है.

इसके तहत अधिसूचना की कंडिका-4 में पुलिस महानिरीक्षक के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक को जोड़ा गया है. वहीं, आरक्षी अधीक्षक के बाद अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, उप वन संरक्षक, उप निदेशक,प्रबंधक निदेशक, महाप्रबंधक, प्रमंडलीय प्रबंधक, अध्यक्ष तथा सदस्य सचिव झरखंड प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को जोड़ा गया है.

वहीं, प्रवर्तन पदाधिकारी स्तंभ में वन क्षेत्र पदाधिकारी, राज्य कर अपर आयुक्त, राज्य कर संयुकत आयुक्त, राज्य कर उपायुक्त को जोड़ा गया है। अध्यक्ष कर्मचारी चयन आयोग के बाद अध्यक्ष पिछड़े वर्गो के लिए राज्य आयोग जोड़ा गया है। अधिसूचना के बाकी बिंदुओं को यथावत रखा गया है.

इस संबंध में परिवहन विभाग के सचिव कृपानंद झा के हस्ताक्षर से अधिसूचना जारी कर दिया है। परिवहन सचिव ने बताया कि पूर्व के अधिसूचना में इन अधिकारियों को नेम प्लेट लगाने की अनुमति नहीं थी, लेकिन राज्य सरकार की सहमति के बाद अब ये वाहनों में नेम प्लेट लगा सकेंगे.

ऐसा बोर्ड लगेगा

परिवहन विभाग ने विधायिका, कार्यपालिका के कई लोगों को नेम प्लेट ओर बोर्ड लगाने की छूट दी है. किसी भी परिस्थिति में नेम प्लेट होने पर निबंधन नंबर ढंका नहीं होना चाहिए. नेम प्लेट का आकार 18 गुना छह इंच से अधिक नहीं होना चाहिए.

विधायिका के लिए हरा, न्यायपालिका, वैधानिक आयोग, कार्यपालिका और केंद्रीय कार्यालय के लिए लाल ओर विधि व्यवस्था संधारण व प्रवर्तन पदाधिकारी के लिए नीला रंग का बोर्ड लगाना होगा.

राज्य सरकार की अधिसूचना में वैसे वाहनों और अधिकारियों की सूची है जो गाड़ी के आगे नंबर प्लेट लगा सकते हैं. वहीं, भारत सरकार के मंत्रालय के वैसे अधिकारी जो राज्य में पदस्थापित हैं, उन्हें संबंधित विभाग, सरकार से अनुमति लेनी होगी। अनुमति मिलने के बाद ही वे बोर्ड लगा सकते हैं.

निजी वाहनों में बोर्ड, नेम प्लेट लगाना गैर कानूनी

राज्य सरकार ने निजी वाहन पर किसी तरह के बोर्ड अथवा नेम प्लेट लगाने को पूरी तरह से गैर कानूनी करार दिया है. किसी वाहन पर कोर्ट, आर्मी, पुलिस, प्रेस, सरकार, प्रशासन व मंत्रालय आदि शब्द लिखने पर मनाही होगी. वाहन के शीशे के अंदर कोई भी बोर्ड या नेम प्लेट नहीं लगा सकते हैं. ऐसा होने पर गाड़ी मालिक पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है। साथ ही दंड भी दिया जायेगा। दो हजार रुपये तक जुर्माना भी हो सकता है। बोर्ड व नेम प्लेट वही लगा सकेंगे जिन्हें सरकार से या प्राधिकार से अनुमति दी गयी हो.

इन्हें है अनुमति

वाहनों के आगे प्राधिकारों का पदनाम एवं उससे नीचे संबंधित विभाग व सरकार का नाम,

विधायिका प्राधिकार: राज्यपाल, सीएम , विधानसभा अध्यक्ष, विस उपाध्यक्ष अगर कोई हो, विपक्षी दल के नेता, कैबिनेट मंत्री, उप मंत्री का दर्जा प्राप्त पद, झारखंड के लोकसभा, राज्यसभा व राज्य विधानसभा के सदस्यगण, झारखंड विधानसभा की समितियों के सभापति, सत्तारूद्ध दल के मुख्य सचेतक. मान्यता प्राप्त विपक्षी दल के मुख्य सचेतक, पंचायती राज व्यवस्था के सभी स्तर के अध्यक्ष व विभिन्न नगर निकायों के अध्यक्ष, राज्य अतितिथियों के उपयोग में लाये जाने वाले वाहन, कैबिनेट विभाग स्वयं भी वाहनों में बोर्ड लगाने संबंधी निर्णय ले सकता है.

हाइकोर्ट के अतिरिक्त न्यायालयों के सक्षम प्राधिकारो को सरकारी वाहनों के आगे बोर्ड लगाने के लिए हाइकोर्ट की अनुमति आवश्यक होगी.

वैधानिक आयोग: जेपीएससी, राज्य कर्मचारी चयन आयोग, राज्य सूचना आयोग, राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव, राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष, राज्य विधि आयोग अध्यक्ष, राज्य नि:शक्ता आयुक्त, विवि कुलपति

केंद्रीय कार्यालय जो राज्य में है

प्रधान महालेखाकार झारखंड, मुख्य आयकर आयुक्त, मुख्य आयुक्त, जीएसटी, रक्षा लेखा नियंत्रक.

विधि व्यवस्था संधारण प्राधिकारी

डीडीसी, अपर समाहर्ता, अपर उपायुक्त, अपर जिला दंडाधिकारी, रांची व धनबाद। अपर पुलिस अधीक्षक, सभी एसडीओ ,सभी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, बीडीओ व सीओ.

प्रवर्तन पदाधिकारी: उप परिवहन आयुक्त सह सचिव क्षेत्रिय परिवहन प्राधिकार, सभी डीटीओ, मोटरयान निरीक्षक, संयुकत आयुक्त उत्पाद, उत्पाद आयुक्त, सहायक आयुक्त व उत्पाद अधीक्षक, सभी जिला खनन पदाधिकारी व सहायक खनन पदाधिकारी।

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