शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों ने सरकार के 5 फसलों पर MSP देने के प्रस्ताव को किया पूरी तरह से खारिज

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New Delhi: हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर किसान संगठनों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. बीते रविवार 18 फरवरी को किसानों के साथ बातचीत में केंद्र सरकार ने पांच फसलों पर एमएसपी देने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इसके लिए किसानों को भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ और भारतीय कपास निगम के साथ पांच साल का करार करना था.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि किसान संगठनों ने चर्चा करने के बाद सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि किसान 23 फसलों पर एमएसपी मांग रहे हैं. डल्लेवाल ने कहा, “हमारी सरकार बाहर से 1 लाख 75 हजार करोड़ रुपये का पॉम आयल मंगवाती है. वो सभी लोगों के बीमारी का कारण भी बन रहा है, फिर भी उसे मंगवाया जा रहा है. अगर यही पैसा देश के किसानों को तेल, बीज फसलें उगाने के लिए और उनके ऊपर एमएसपी की घोषणा करे, और खरीदी की गारंटी दी, तो उस पैसे से काम चल सकता है.”

उन्होंने फिर से कहा, “ये जो प्रस्ताव आया है, वह किसानों के पक्ष में नहीं है. हम इस प्रस्ताव को रद्द करते हैं.” किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, “हमारी मांग वही है कि सरकार 23 फसलों पर एमएसपी गारंटी कानून बनाकर दे.” उन्होंने आरोप लगाया है कि जब हम केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ बैठक के लिए जाते हैं, तो वे तीन-तीन घंटे देरी से आते हैं, जो कि ठीक बात नहीं है.

संयुक्त किसान मोर्चा ने भी खारिज किया था प्रस्ताव 

इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने भी केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया है, जिसमें सरकार ने पांच फसलों पर पांच साल के लिए एमएसपी देने की बात कही थी. मोर्चा का कहना है कि सरकार ने मक्का, कपास, अरहर/तूर, मसूर और उड़द की फसल पर A2+FL+50% के फॉर्मूले पर एमएसपी देने की बात कही है, लेकिन यह असल मांगों को कमजोर करने की कोशिश है. वहीं किसानों की मांग है कि C2+50% के फॉर्मूले पर सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाएगा.

एसकेएम ने कहा कि साल 2014 में बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में फसलों को एमएसपी पर खरीदने की गारंटी दी थी, जिसे वह पूरा नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि किसानों के साथ बातचीत में सरकार ने अभी यह नहीं बताया है कि वे एमएसपी किस फॉर्मूले को लागू कर देंगे.संगठन ने कहा कि इसके अलावा केंद्रीय मंत्रियों ने किसानों की कर्ज माफी, बिजली बोर्ड के प्राइवेटाइजेशन, 60 साल के ऊपर के किसानों को दस हजार रुपये पेंशन और लखीमपुर खीरी कांड में न्याय के सवाल पर चुप्पी साध रखी है.

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