भोपाल की रॉयल प्रॉपर्टी पर हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: सैफ अली खान को 15,000 करोड़ की विरासत गंवानी पड़ी?
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक बेहद अहम फैसला सुनाया, जिसने न सिर्फ कानूनी हलकों में हलचल मचा दी, बल्कि बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान की विरासत पर भी बड़ा असर डाला है। अदालत ने भोपाल की रॉयल फैमिली से जुड़ी लगभग 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति को “एनिमी प्रॉपर्टी” घोषित कर दिया है। इस फैसले के बाद, यह संपत्ति अब भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में आ गई है, और सैफ अली खान को एक बड़ी कानूनी हार का सामना करना पड़ा है।
क्या है मामला?
यह संपत्ति सैफ अली खान को उनके पुश्तैनी अधिकार के तहत मिली थी। उनका संबंध भोपाल की नवाबी रियासत से रहा है। भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्लाह खान की बेटी सजीदा सुल्तान ने नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी से विवाह किया, और उनके पुत्र थे मंसूर अली खान पटौदी (क्रिकेटर) और फिर सैफ अली खान।
हमीदुल्लाह खान की बड़ी बेटी अबीदा सुल्तान थीं, जिन्होंने 1950 में पाकिस्तान की नागरिकता ग्रहण कर ली थी। इसी तथ्य को आधार बनाकर भारत सरकार ने यह दावा किया कि संपत्ति उनकी होने के कारण यह एनिमी प्रॉपर्टी की श्रेणी में आती है।
एनिमी प्रॉपर्टी क्या होती है?
एनिमी प्रॉपर्टी वह संपत्ति होती है जिसे उन लोगों ने छोड़ा जो भारत के शत्रु देशों जैसे पाकिस्तान या चीन चले गए। 1962 में लागू हुए डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट के तहत इन संपत्तियों को भारत सरकार ने कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी के अधीन ले लिया था। सरकार को यह अधिकार मिला कि वह इन संपत्तियों का प्रबंधन करे, बेचे या अन्यथा प्रयोग में लाए।
कैसे हुआ मामला कोर्ट तक?
2000 में भोपाल की एक ट्रायल कोर्ट ने निर्णय दिया था कि यह संपत्ति सैफ अली खान के परिवार की है और मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार उनका उस पर अधिकार है। लेकिन 2014 में भारत सरकार ने इस आदेश को खारिज करते हुए संपत्ति को एनिमी प्रॉपर्टी घोषित कर दिया। इसके खिलाफ सैफ अली खान ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने प्रारंभ में सैफ की याचिका पर स्टे दे दिया था, लेकिन दिसंबर 2024 में यह स्टे हटा लिया गया और कोर्ट ने सैफ अली खान को 30 दिन का समय दिया कि वे इस फैसले को चुनौती देना चाहते हैं या नहीं।
अब, 2025 में कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि चूंकि सैफ अली खान ने समयसीमा के भीतर कोई ठोस चुनौती नहीं दी, इसलिए यह संपत्ति अब एनिमी प्रॉपर्टी मानी जाएगी। हालांकि, कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि एक साल के भीतर इस मामले का फिर से ट्रायल हो ताकि यह स्पष्ट हो सके कि संपत्ति पर असली अधिकार किसका है: अबीदा सुल्तान का या सजीदा सुल्तान का?
संपत्ति का विवरण
यह संपत्ति भोपाल के कई प्रमुख क्षेत्रों में फैली हुई है, जिनमें फ्लैग स्टाफ हाउस, नूर-उस-सबा पैलेस, दर-उस-सलाम और अहमदाबाद पैलेस शामिल हैं। नूर-उस-सबा पैलेस को एक लक्जरी होटल में परिवर्तित कर दिया गया है और बाकी संपत्तियाँ भी बेहद मूल्यवान मानी जाती हैं। इनकी कुल अनुमानित कीमत लगभग 15,000 करोड़ रुपये है।
सरकार की नीति और रणनीति
2016 में भारत सरकार ने एक ऑर्डिनेंस पास किया था जिसमें कहा गया कि एनिमी प्रॉपर्टी का पूर्ण अधिकार सरकार के पास रहेगा। इसके बाद सरकार ने 2018 और फिर 2020 में मंत्रियों के एक समूह के माध्यम से इन प्रॉपर्टियों को बेचने की प्रक्रिया को गति दी। गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बनाई गई समिति ने इन संपत्तियों की निगरानी और नीलामी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया।
अब आगे क्या?
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि संपत्ति पर दोबारा ट्रायल होगा जिसमें तय किया जाएगा कि असली उत्तराधिकारी कौन है। यदि यह साबित हो गया कि संपत्ति अबीदा सुल्तान की थी, तो यह हमेशा के लिए एनिमी प्रॉपर्टी घोषित हो जाएगी। लेकिन यदि यह साबित होता है कि यह सजीदा सुल्तान की थी, तो सैफ अली खान इस पर अधिकार पुनः प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष
यह मामला सिर्फ एक संपत्ति का नहीं है, बल्कि यह विरासत, कानून, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और पारिवारिक दावों से जुड़ा जटिल मुद्दा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट किस आधार पर निर्णय देता है और क्या सैफ अली खान इस संपत्ति को पुनः हासिल कर पाएंगे या नहीं। फिलहाल, यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत सरकार की दृष्टि में यह एक बेहद महत्वपूर्ण और उच्च मूल्य वाली संपत्ति है जिसे अब सार्वजनिक हित में उपयोग किया जा सकता है।