FS Motors ने जीता Indian Army का भरोसा: 3000 Gurkhas की डिलीवरी

 

FS Motors को हाल ही में भारतीय सेना से 3000 Ford Gurkhas की सप्लाई का ऑर्डर मिला है। यह पहला मौका नहीं है जब भारतीय सेना ने इस प्रकार का बड़ा ऑर्डर दिया हो। कुछ साल पहले भारतीय सेना ने Mahindra को उनकी Scorpio Classic 4×4 की सप्लाई का ऑर्डर दिया था। Scorpio Classic अपने बड़े साइज, 1000 किलो से ऊपर की पेलोड कैपेसिटी और 2.2L डीजल इंजन की मजबूती के कारण सेना की पहली पसंद बनी। इसके 4×4 वर्जन की ऑफरोडिंग क्षमता भी बेहतरीन मानी जाती है, जो इसे दुर्गम इलाकों में आसानी से चलने लायक बनाती है।

भारतीय सेना की पसंदीदा गाड़ियां

भारतीय सेना के लिए वाहन चुनते समय कई मानदंडों को ध्यान में रखा जाता है। इनमें प्रमुख हैं:

  1. क्षेत्र की स्थिति (Terrain Use): सेना को यह देखना होता है कि वाहन किन क्षेत्रों में उपयोग होगा। जैसे कि बर्फीले क्षेत्रों में पेट्रोल इंजन वाले वाहन बेहतर माने जाते हैं, क्योंकि पेट्रोल जमता नहीं है। इसके विपरीत पथरीले और ऊंचाई वाले इलाकों में डीजल इंजन की पावर और टॉर्क बेहतर परफॉर्मेंस देते हैं।
  2. पेलोड कैपेसिटी (Payload Capacity): सेना को कितनी मात्रा में सामान ले जाना है, इसके आधार पर गाड़ी का चयन होता है। GS500, GS800 और उससे बड़े सेगमेंट में अलग-अलग पेलोड कैपेसिटी वाले वाहन चुने जाते हैं। सुजुकी जिम्नी GS500 कैटेगरी में आती है, जबकि Tata Safari Storme GS800 कैटेगरी में आती है।
  3. स्थानीय उत्पादन (Indigenous Manufacturing): सेना ऐसे वाहनों को प्राथमिकता देती है जो भारत में ही निर्मित होते हैं। इससे उनके पार्ट्स आसानी से उपलब्ध होते हैं और मरम्मत में भी आसानी होती है।
  4. कस्टमाइज़ेशन (Customizability): सेना के वाहन में अनावश्यक हाईटेक फीचर्स नहीं होने चाहिए। इसे अधिक से अधिक कस्टमाइज़ किया जा सके ताकि युद्ध के समय आवश्यकतानुसार बदलाव किए जा सकें।
  5. अत्यधिक परीक्षण (Extreme Testing): किसी भी वाहन को सेना में शामिल होने से पहले कठिन परिस्थितियों में परीक्षणों से गुजरना होता है। इसके बाद ही सेना द्वारा वाहन को चुना जाता है।

Ford Gurkha की खासियत

Ford Gurkha की खासियत की बात करें तो यह Mahindra Thar और Suzuki Jimny से कई मामलों में बेहतर है। इसका 2.6L OM616 डीजल इंजन Mercedes की तकनीक पर आधारित है और यह पिछले 40-50 सालों से विश्वसनीय साबित हुआ है। यही कारण है कि भारतीय सेना इसे लंबे समय से इस्तेमाल कर रही है।

इसके अलावा, Gurkha का साइज भी Thar और Jimny से बड़ा है। Gurkha का 3-डोर वर्जन 4.3 मीटर लंबा है, जबकि 5-डोर वर्जन 4.7 मीटर का है। इतनी लंबाई के बावजूद इसका टर्निंग रेडियस अपने सेगमेंट में सबसे कम है, जिससे इसे संकरी जगहों में भी आसानी से घुमाया जा सकता है।

Gurkha की 700 मिमी की वाटर वेडिंग कैपेसिटी इसे बाढ़ या गहरे पानी वाले क्षेत्रों में भी आसानी से चलने में सक्षम बनाती है। वहीं, इसकी पेलोड कैपेसिटी 1050 किलो है, जो इसे काफी सामर्थ्यवान बनाती है। इसकी टोइंग कैपेसिटी 3000 किलो तक की है, जिससे यह भारी उपकरण और गोला-बारूद भी ढो सकती है।

निष्कर्ष

Ford Gurkha का भारतीय सेना में चयन सिर्फ इसकी ऑफरोडिंग क्षमता के कारण नहीं, बल्कि इसकी विश्वसनीयता, बड़ी पेलोड कैपेसिटी, स्थानीय उत्पादन और सेना की आवश्यकताओं के हिसाब से कस्टमाइज़ करने की क्षमता के कारण हुआ है। 3000 यूनिट्स का यह ऑर्डर भविष्य में और भी बढ़ सकता है।

आने वाले समय में देखना दिलचस्प होगा कि क्या Mahindra Thar या Suzuki Jimny भी भारतीय सेना की पसंद बन पाती हैं या फिर Gurkha का दबदबा कायम रहेगा।

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