RAW में प्रवेश कैसे करें: RAW AGENT बनने के लिए किन परीक्षाओं को पास करना होगा और भर्ती प्रक्रिया क्या है?
भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (Research and Analysis Wing – R&AW), जिसे आमतौर पर रॉ कहा जाता है, देश की सबसे प्रमुख बाह्य अभिज्ञता (External Intelligence) एजेंसी है। इसकी स्थापना 1968 में की गई थी और तब से यह विदेशी विशेषज्ञता, गुप्तचर आंकलन एवं खुफिया जानकारी एकत्र करने के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही है। रॉ का मुख्य उद्देश्य देश की सुरक्षा, विदेश नीति का समर्थन और रणनीतिक निर्णयों के लिए विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध कराना है। इसी कड़ी में, रॉ में शामिल होने के इच्छुक अधिकारियों के लिए दो मुख्य मार्ग अपनाए जाते हैं: (1) सिविल सेवा अधिकारीयों का डेपुटेशन, और (2) स्वयं रॉ द्वारा आयोजित विशेष R&A (Research & Analysis) टेस्ट।
1. भर्ती के दो प्रमुख मार्ग
1.1 सिविल सर्विसेज़ से डेपुटेशन
-
शुरुआती चयन
-
रॉ में भर्ती होने का पहला मार्ग UPSC (Union Public Service Commission) के अंतर्गत सिविल सर्विसेज़ परीक्षा से चुने गए अधिकारियों के माध्यम से होता है।
-
ये अधिकारी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), विदेश सेवा (IFS) इत्यादि प्रमुख ग्रुप-ए सेवाओं में से किसी एक में सेवारत होते हैं।
-
-
डेपुटेशन प्रक्रिया
-
चयनित अधिकारी आमतौर पर अपनी मूल सेवा में कुछ वर्षों (आमतौर पर 3–5 वर्ष) कार्य करने के पश्चात डेपुटेशन के आधार पर रॉ में आते हैं।
-
इस अवधि के दौरान उन्हें केंद्र सरकार से अनुमति (permission) मिली होती है, जिसके तहत वे कुछ वर्षों के लिए रॉ में तैनात रहकर देश-विदेश से जुड़ी गुप्तचर गतिविधियों में योगदान देते हैं।
-
-
लाभ और उद्देश्य
-
सिविल सेवा अधिकारियों की प्रशासनिक और प्रबंधकीय क्षमताओं का फायदा रॉ को मिलता है।
-
इन अधिकारियों के पास नीति-निर्माण (policy-making), निर्णय-निर्माण (decision-making) और नेतृत्व (leadership) का अनुभव होता है, जो रॉ के उच्च स्तरीय विश्लेषणात्मक एवं परिचालन कार्यों में काम आता है।
-
1.2 R&A सर्विस टेस्ट के माध्यम से भर्ती
-
विशेष R&A टेस्ट
-
रॉ स्वयं एक विशेष Research & Analysis (R&A) टेस्ट आयोजित करता है, जिसे ‘R&A सर्विस एग्जामिनेशन’ कहा जाता है।
-
यह एक इन-हाउस रिक्रूटमेंट होता है; सरकार सार्वजनिक (public) स्तर पर भर्ती विज्ञापन जारी नहीं करती।
-
-
लागू योग्य अधिकारी
-
इस टेस्ट के लिए पात्र होते हैं वे अधिकारी जो वर्तमान में केंद्र सरकार की किसी भी सहायक (assistant) या उप सहायिका (assistant) सेवाओं में तैनात हैं।
-
मूलतः ग्रुप-‘C’ या ग्रुप-‘B’ स्तर के वे अधिकारी इस टेस्ट में भाग ले सकते हैं, जिन्हें रॉ द्वारा योग्य समझा जाए।
-
-
चयन प्रक्रिया
-
लिखित परीक्षा → साक्षात्कार (interview) → मनोवैज्ञानिक परीक्षण → थ्रूपुट टेस्ट
-
चयन के पश्चात सफल उम्मीदवारों को रॉ में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है।
-
2. रॉ में चयन के लिए आवश्यक मानसिक गुण
2.1 देशभक्ति और सेवा भाव
-
रॉ में भर्ती होने के पीछे देश की सुरक्षा के प्रति प्रगाढ़ उत्साह (passion) होना अनिवार्य है।
-
केवल सम्मान या रोमांच के उद्देश्य से आने वाले उम्मीदवारों की भर्ती संभव नहीं है; उम्मीदवार में अत्यंत समर्पण (dedication) और वीरता (courage) होनी चाहिए।
2.2 मानसिक स्थिरता (Mental Stability)
-
स्पष्ट चिंतन (Clear Thinking)
-
जटिल परिस्थितियों में सामंजस्यपूर्ण और तार्किक विचार करना आना चाहिए।
-
-
दूरदर्शी निर्णय क्षमता (Foresighted Judgment)
-
किसी भी संकट या अप्रत्याशित स्थिति में उचित रणनीति बनाने हेतु दूरदर्शी दृष्टिकोण आवश्यक है।
-
-
संतुलित दृष्टिकोण (Balanced Outlook)
-
व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में संतुलन बनाए रखना और भावनात्मक निर्णय से बचना होता है।
-
टिप्पणी: इन गुणों का परीक्षण चयन प्रक्रिया के दौरान मनोवैज्ञानिक परीक्षा, समूह चर्चा एवं स्थितिजन्य प्रश्नों (situational judgement tests) के माध्यम से किया जाता है।
3. रॉ में प्रशिक्षण (Training)
रॉ में चयन होने के बाद अधिकारियों को दो प्रमुख प्रकार का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है:
3.1 बौद्धिक प्रशिक्षण (Intellectual Training)
-
विश्व इतिहास का अध्ययन
-
विश्व के प्रमुख ऐतिहासिक घटनाक्रम, युद्ध, राजनैतिक बदलाव और उनके प्रभाव का गहन अध्ययन।
-
-
भू-राजनीतिक विश्लेषण (Geopolitical Analysis)
-
ग्लोबल इवेंट्स को समझकर संभावित परिणामों का पूर्वानुमान लगाने की कला।
-
जैसे– सिमीकरण (Simulation) आधारित अभ्यास में अधिकारी यह सीखते हैं कि विभिन्न परिदृश्यों (scenarios) में रणनीतिक कदम कैसे उठाने चाहिए।
-
-
डेटा एनालिटिक्स एवं टेक्नोलॉजिकल इंटेलिजेंस
-
खुली स्रोत (Open Source Intelligence – OSINT), संकेत-आधारित (Signal Intelligence – SIGINT), उपग्रह (Satellite) एवं साइबर इंटेलिजेंस के तरीकों का प्रशिक्षण।
-
-
प्रीडिक्टिव एनालिसिस (Predictive Analysis)
-
घटनाओं के रुझान पहचानने एवं भविष्यवाणी करने की क्षमता विकसित करना।
-
3.2 शारीरिक व पैरामिलिट्री प्रशिक्षण (Physical & Paramilitary Training)
-
मार्शल आर्ट्स एवं आत्मरक्षा (Martial Arts & Self-Defense)
-
विभिन्न मार्शल आर्ट्स शैलियों का प्रशिक्षण, जिससे आवश्यकतानुसार कट्टरपंथी या दुश्मन हमलों से झेलने के लिए दक्षता बढ़ती है।
-
-
टार्चर रेज़िलिएंस (Torture Resilience)
-
काउंटर-इंट्रोगेशन (Counter-Interrogation) तकनीकों में अधिकारी को प्रशिक्षित किया जाता है कि वे अत्यधिक शारीरिक-मानसिक यातनाएँ सहने के बाद भी खुफिया जानकारी का खुलासा न करें।
-
-
कवर्ट ऑपरेशन स्किल्स
-
गुप्त परिचालन (covert operations), सूचना-संग्रह (information gathering), अस्थायी परिचय (cover identities) तथा निरोध (surveillance) एवं प्रतिरोध (counter-surveillance) के अभ्यास।
-
-
रिगर्स फील्ड वर्क
-
बाहरी ठिकानी (safe houses), छद्म व्यवहार (undercover interactions), एवं आपातकालीन निकास (emergency exfiltration) प्रणालियों का अभ्यास।
-
उदाहरण: इजरायली खुफिया संस्था मोसाद के एली कोहिन का मामला, जिसने कड़ी यातनाएँ सहने के बाद भी अपने संरक्षकों की पहचान छिपाई रखी, रॉ प्रशिक्षण का आदर्श माना जाता है।
4. रॉ में समकालीन चुनौतियाँ
4.1 कार्यक्षेत्रों में ओवरलैप (Overlap of Functions)
-
परंपरागत रूप से रॉ का मुख्य कार्य विदेशी-स्तर पर खुफिया एकत्रण था। पर अब काउंटर-टेररिज्म (Counter-Terrorism) कार्यों में भी रॉ बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है।
-
भारत के भीतर गृह मंत्रालय की इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) एवं सशस्त्र बलों की मिलिट्री इंटेलिजेंस भी काउंटर-टेररिज्म में सक्रिय हैं।
-
परिणामस्वरूप: रॉ का प्राथमिक विदेशी खुफिया संचयन एवं विश्लेषण कार्य आंशिक रूप से प्रभावित हो रहा है।
4.2 भाषा-विशेषज्ञों का अभाव (Lack of Language Experts)
-
रॉ को विश्व के विविध होस्टाइल वातावरणों में खुफिया परिचालन हेतु स्थानीय भाषा-विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है।
-
चीनी, बर्मी, बलूची, पश्तो, सिरायल जैसी भाषाओं के विशेषज्ञों की कमी है, जिससे इन क्षेत्रों में मानव-अभिज्ञता (HUMINT) कार्य तथा नेटवर्क विकास प्रभावित हो रहे हैं।
-
मौजूदा अधिकारियों के पास प्रवीण विदेशी भाषा न होने के कारण, प्रायः मार्केट से इंटेरप्रिटर्स (interpreters) पर निर्भर रहना पड़ता है, जो दीर्घकालिक एवं गोपनीयता-संवर्धन (confidentiality) संदर्भ में उपयुक्त नहीं।
4.3 आयु-बद्ध भर्ती और प्रशिक्षण की कठिनाई (Age-Related Recruitment & Training Challenges)
-
सिविल सेवा अधिकारियों का रॉ में आने का औसत आयु-समूह 33–35 वर्ष होता है।
-
37–40 वर्ष की आयु में विदेशी भाषा सीखना अत्यंत कठिन, क्योंकि इस अवस्था में मानसिक दृढ़ता (rigidity) बढ़ जाती है।
-
नए अधिकारी जब प्रथम बार विदेश भेजे जाते हैं तो उनकी रैंक ‘पहला सेक्रेटरी (First Secretary)’ होती है, जिनमें फील्ड एक्टिविटी एवं मुख्यालय विश्लेषण का चक्र चलता रहता है।
-
करीब 10–15 वर्ष के बाद जब वे जॉइंट सेक्रेटरी (Joint Secretary) स्तर पर पहुंचते हैं, तब भी मैनेजमेंट एवं नेतृत्व (leadership) प्रशिक्षण का अभाव होता है, जबकि विदेशी एजेंसियाँ इस स्तर पर विशेष प्रबंधन पाठ्यक्रम आयोजित करती हैं।
5. सुधार हेतु प्रस्तावित उपाय
-
भर्ती प्रक्रिया में आधुनिकरण (Modernize Recruitment):
-
सार्वजनिक स्तर पर सीमित रूप से भर्ती विज्ञापन जारी कर योग्य उम्मीदवारों को आमंत्रित करना।
-
प्रतिभा-पूल (Talent Pool) का निर्माण एवं युवा अभियानों (cadre) द्वारा भर्ती।
-
-
भाषा प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान (Enhanced Language Training):
-
छ: माह के ब्रिज कोर्स को दीर्घकालिक विदेशी भाषा कोर्स में विस्तार।
-
विदेशी विश्वविद्यालयों एवं भाषा संस्थानों के साथ साझेदारी।
-
-
मैनेजमेंट एवं नेतृत्व प्रशिक्षण (Management & Leadership Training):
-
जॉइंट सेक्रेटरी स्तर के अधिकारियों हेतु अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधन पाठ्यक्रम (e.g., INSEAD, Harvard Kennedy School)।
-
आंतरिक नेतृत्व कार्यशालाएँ एवं मेन्टरशिप प्रोग्राम।
-
-
कार्य विभाजन स्पष्ट करना (Clarify Functional Divisions):
-
काउंटर-टेररिज्म एवं विदेशी खुफिया कार्यों की स्पष्ट अलग-अलग जिम्मेदारियाँ।
-
गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय एवं रॉ के बीच समन्वय (coordination) के लिए विशेष मंच।
-
-
मानसिक स्वस्थता एवं करियर विकास (Mental Wellness & Career Progression):
-
अधिकारीयों को मनोवैज्ञानिक सहायता (counseling) एवं अवसाद-रोधी (stress-management) प्रशिक्षण।
-
करियर पथ (career path) में विविधता, ताकि विश्लेषक से प्रबंधक, विदेशी तैनाती से मुख्यालय विश्लेषण तक संतुलन बना रहे।
-
6. रॉ में शामिल होने के इच्छुक युवा उम्मीदवारों को मार्गदर्शन
यदि आप भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो निम्न तीन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दें:
-
मानसिक संरचना (Mental Construct):
-
साफ-सुथरी सोच, दूरदर्शी निर्णय क्षमता, संतुलित दृष्टिकोण।
-
कठिन परिस्थितियों में स्थिरता एवं साहस की परीक्षा देने हेतु मनोवैज्ञानिक परीक्षण अभ्यास।
-
-
विदेशी भाषा प्रवीणता (Foreign Language Proficiency):
-
चीनी, अरबी, रूसी, पश्तो या संबद्ध सामरिक भाषाओं पर काम करें।
-
विदेशी भाषा स्नातक या परास्नातक डिग्री/प्रमाणपत्र हासिल करना श्रेष्ठ।
-
-
प्रबंधन एवं नेतृत्व कौशल (Management & Leadership Skills):
-
MBA, पब्लिक पॉलिसी, अंतरराष्ट्रीय संबंध या संबंधित क्षेत्रों में डिग्री।
-
समस्या-समाधान कार्यशालाओं, नेतृत्व शिविरों और प्रोजेक्ट प्रबंधन का अनुभव।
-
इन तीनों बिंदुओं का समन्वय करके आप स्वयं को एक मूल्यवान अभिज्ञ(“—सीक्रेट”) संपत्ति (asset) के रूप में स्थापित कर सकते हैं, जो राष्ट्र की सेवा में उत्कृष्ट योगदान दे पाएगा।
निष्कर्ष
भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग, अंतर्राष्ट्रीय खुफिया परिदृश्य में एक अहम कड़ी है। इसकी भर्ती प्रक्रिया, प्रशिक्षण मॉड्यूल एवं चुनौतियाँ निरंतर विकसित हो रही हैं। देश की बदलती सुरक्षा आवश्यकताओं के मद्देनजर रॉ को अपने कार्यक्षेत्र एवं व्यवस्थाओं का आधुनिकरण सुनिश्चित करना होगा। साथ ही, युवा पीढ़ी को भी देशभक्ति, बौद्धिक गहराई एवं भौतिक सहनशीलता का सम्मिलित प्रशिक्षण ग्रहण कर स्वयं को इस महत्वपूर्ण मिशन का हिस्सा बनाने का अवसर मिलना चाहिए।
इस विस्तृत पुनर्लेखन में हमने रॉ की भर्ती पद्धति, मानसिक एवं शारीरिक प्रशिक्षण, समकालीन चुनौतियाँ, सुधारात्मक प्रस्ताव एवं इच्छुकों के लिए मार्गदर्शन को संक्षिप्त एवं व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया है, ताकि पाठक को रॉ के समग्र कार्य एवं भविष्य की रणनीतियों का स्पष्ट परिचय मिल सके।