Deoghar: झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी देवघर भू माफियाओं के नजर में स्वर्ण हीरा के समान है, लेकिन अब यह स्वर्ण हीरा भूमाफियाओं के लिए आफत बनने वाली है. बाबा नगरी देवघर में जमी की खरीद बिक्री को लेकर सीबीआई सहित अन्य एजेंसियों की जांच जारी है. इसी सिलसिले में झारखंड धार्मिक न्यास बोर्ड भी अपनी जमीन को कब्जे में लेने के लिए आतुर है. झारखंड और धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष जयशंकर पाठक ने इस सिलसिले में न्यूज विंग से बातचीत करते हुए कहा कि झारखंड बिहार में एक न्यास बोर्ड के अधीन जितने भी जमीन या धर्मशालाएं एकीकृत बिहार के समय से निबंधित हैं, उन सभी जमीनों पर या धर्मशालाओं पर अवैध कब्जा या खरीद व बिक्री को लेकर मामले की जांच जारी है. हर हाल में जांच पूरी होने के बाद झारखंड धार्मिक न्यास बोर्ड अपनी संपत्ति को कब्जा में लेगी.
बता दें कि बाबा नगरी देवघर में झारखंड अलग होने के बाद भू माफियाओं की नजर डाकिन के समान पड़ गई है और माफिया हर वह जमीन एक दूसरे को बेच देना चाह रहे हैं, जिसमें उन्हें फायदा नजर आ रहा है. चाहे वह तालाब हो या सरकार की जमीन. सीबीआई जांच होने के बाद ही भूमि माफिया भूमि घोटाले से बाज नहीं आ रहे हैं. यह कहना गलत नहीं होगा कि झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी बाबा नगरी देवघर में भूमि माफियाओं की काली नजर पड़ गई है और वह आने-पौने दाम में जमीन खरीद कर उसमें प्लॉटिंग कर जमीन को बेच रहे हैं या फिर फ्लैट का स्वरूप देखकर उसे फ्लैट को मुंह मांगी कीमत पर बेच रहे हैं. इस करोबार में कई राजनेताओं की भी मिली भगत है.
सूत्र बताते हैं कि देवघर में 25 से 30 लाख के भी 1 बीएचके फ्लैट की बिक्री होती है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2 बीएचके फ्लैट की कीमत इससे दोगुनी ही होगी. ऐसे में भू माफिया क्यों सलेबुल या नन सलेबुल जमीन पर अपनी दावेदारी करते हैं और सौदा पक्का होने के बाद जी जान लगाकर उस जमीन को बेचने की फिराक में रहते हैं. जिसमें कई विवाद भी सामने आते रहता है. फिलहाल मामला लोवर कोर्ट से हाई कोर्ट तक में लंबित है. इसका अंदाजा लगा पाना देवघर के लिए मुश्किल है कि कौन सी जमीन किस किस्म कि है और कितनी कीमत में बेची जाती है.
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