इंटरनेशनल प्लेयर फ्लोरेंस बारला की सिस्टम से गुहार- अब तो नावाडीह गांव में पानी, शौचालय मुहैया करा दो सरकार

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Amit Jha
Ranchi: फ्लोरेंस बारला, इंटरनेशनल एथलीट. JSSPS की पूर्व कैडेट भी. पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए क्वालिफाइंग राउंड के लिए पसीना बहाने में लगी है. चीन में पिछले दिनों आयोजित एशियन गेम्स में रिले टीम में देश को सिल्वर मेडल भी दिला चुकी है. गुमला के नावाडीह में उनका गांव है. घर में अबतक शौचालय नहीं है. 2018 से इसके लिए दौड़ जारी है. 6 महीने से अधिक हो गये, गांव में एक बोरिंग हुआ जो किसी काम का नहीं. अब भी 2-3 किमी दूर तालाबों, कुओं से पानी लाने की जद्दोजहद घर के लोग करते हैं. अंबेडकर आवास योजना से घर बनाने को डेढ़ लाख रुपया मिलना था, पूरे पैसे अब तक नहीं मिले हैं. अब फ्लोरेंस की सरकार से अपील है- अब तो पानी, शौचालय का जुगाड़ सरकार लगा दें.

अब भी नावाडीह की नहीं बदली है सूरत

गुमला के कामडारा प्रखंड के रेडवां पंचायत का गांव है नावाडीह. प्रखंड कार्यालय से करीब 25 किमी की दूरी है. सुदूरवर्ती क्षेत्र में बसे गांव के लोगों को छोटी छोटी जरूरतों के लिए भी 10-20 किमी दूर के बाजारों में जाना पड़ता है. बिजली, पानी का बड़ा संकट जारी है. वर्ष 2022 में जब फ्लोरेंस और उसकी बहन आशा ने एथलेटिक्स में मेडल लाना शुरू किया, तब जिला प्रशासन रेस में आय़ा. फ्लोरेंस के घर में इन्वर्टर, टीवी उसने बिजली मीटर कनेक्शन के साथ दिया. इससे पहले तक फ्लोरेंस के यहां बिजली कनेक्शन इसलिए नहीं दिया गया था क्योंकि उसके घर में बीपीएल कार्ड नहीं था.

6-7 महीने पहले फ्लोरेंस के घर के समीप पेयजल विभाग की ओर से एक बोरिंग कराया गया. पानी टंकी भी लगायी गयी. यहां तक कि पाइप से कनेक्शन भी गांव के कुछ घरों में दिया गया पर इससे एक बूंद पानी आज तक नहीं मिला है. ना सोलर सिस्टम है, ना बोरिंग सफल हुआ है. ऐसे में फ्लोरेंस के घर के लोगों के अलावा गांव में दूसरे घरों के लोग भी कुछ दूरी तय करते नदी, पोखर से या जिन कुओं में पानी रहता है, वहां से इसे लाते हैं. बारिश और इसके बाद के कुछ महीनों तक तो नदी, तालाबों में पानी मिल भी जाए पर गर्मी में अंतहीन सवाल सामने आते रहते हैं. साथ ही जल संकट के कारण गांव में खेती का काम भी कई चैलेंज लाता रहता है.
2018 में शौचालय योजना के लिए फ्लोरेंस की मां रोजलिया आइंद को चयनित किया गया. पर बगैर दरवाजे, पानी की व्यवस्था के ही ढांचा बनाकर दे दिया गया. इसे पूरा करने में बेटे आशीष के साथ खेती किसानी करके घर चलाने वाली रोजलिया फेल रहीं. शौचालय को पूरा करने को पिछले पांच सालों में मुख्य सचिव, झारखंड तक के पास परिजनों, शुभचिंतकों ने फरियाद लगायी पर सुनवाई नहीं हुई.

क्या कहती है फ्लोरेंस

न्यूज विंग से बातचीत में फ्लोरेंस ने कहा कि उनका मिशन ओलंपिक (पेरिस ओलंपिक 2024) में तिरंगे का मान बढ़ाने का है. इसके लिए वे बोकारो में अपने कोच आशू भाटिया के पास रहकर कोचिंग ले रही हैं. उनकी सरकार से अपील है कि उनके नावाडीह गांव में पेयजल, सिंचाई, शौचालय की सुविधा मुहैया करा दे. आवास योजना में अंबेडकर आवास योजना का पूरा पैसा नहीं मिला है. ऐसे में वे अब सीएम हेमंत सोरेन से मिले अवार्ड राशि से अपने घर को तैयार कराने में लगी हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी

पेयजल विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मंतोष कुमार के मुताबिक विभाग लगातार ग्रामीणों से शौचालय के लिए आवेदन मंगाता रहा है. अगर नावाडीह में समस्या है तो लिखित सूचना के आधार पर वे पहल करेंगे. इसके लिए जल सहिया या बीडीओ की मदद लोग लें. पेयजल योजनाओं को 1-2 माह में धरातल पर उतार दिया जायेगा.
जिला खेल पदाधिकारी मनोज कुमार के अनुसार अभी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम जिले भर में चल रहा है. कैंप लगाये जा रहे हैं. उन्हें फ्लोरेंस के यहां शौचालय और दूसरी समस्याओं के बारे में जानकारी नहीं है. इसका पता लगाकर आपके द्वार कार्यक्रम और जिला प्रशासन के जरिये इंटरनेशनल प्लेयर के गांव में सारी सुविधाएं दिलाने का प्रयास होगा.
कामडारा बीडीओ निशा तिर्की से संपर्क करने पर पता लगा कि वे जनता दरबार में हैं. फ्लोरेंस के मामले पर इतना ही कहा कि वे मामले को पता करके बताएंगी. जिले के डीसी कर्ण सत्यार्थी को फोन किए जाने पर उन्होंने रिसीव नहीं किया. संपर्क होने पर इसे भी जगह दिया जायेगा.

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