Nikhil Kumar
Ranchi : झारखंड विधानसभा में नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले की जांच पूरी हो गयी है. इस रिपोर्ट को अब झारखंड विधानसभा के पटल में रखा जायेगा. विधानसभा से ही अब इस बात का खुलासा होगा कि बड़े पैमाने पर नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले के लिए कौन जिम्मेदार हैं. मंत्रिमंडल सचिवालय एवं समन्वय विभाग इस गोपनीय रिपोर्ट को विधानसभा में भेजेगा जिसकी मंजूरी सरकार से मिल गयी है. इस रिपोर्ट में सरकार की तरफ अपना मंत्वय नहीं दिया गया है. अधिकारियों का कहना है कि चूंकि घोटाला किये जाने की सूचना के बाद विभाग ने 2017 में जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी. इस कमेटी को पूरी जांच के लिए कई बार अवधि विस्तार भी मिला था. इसके बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट रखी, लेकिन इसे पूरी तरह से स्पष्ट करने के लिए फिर से रिटायर जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में कमेटी बनी थी. इस कमेटी ने भी रिपोर्ट सौंप दी है. ऐसे में अब विस्तृत प्रतिवेदन विधानसभा को भेजा जायेगा. अधिकारियों का कहना है कि इस गोपनीय रिपोर्ट को देखा नहीं गया, इसे सीलबंद कर विधानसभा को भेजा जायेगा.
हुई थी धांधली
विधानसभा में नियुक्ति-प्रोन्नति में बड़ी धांधली की बात सामने आयी थी. सबसे अधिक गड़बड़ियां चतुर्थवर्गीय कर्मियों की नियुक्ति में हुई. विक्रमादित्य आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इसे बताया था. आयोग का निष्कर्ष था कि चतुर्थवर्गीय संवर्ग की नियुक्तियों में नियमों की पूरी तरह अनदेखी हुई. उत्तर पत्र खाली रहने के बावजूद नियुक्ति कर ली गई. ड्राइवरों की नियुक्ति में सबसे अनियमितता हुई. बगैर ड्राइविंग लाइसेंसवालों की नियुक्ति भी ड्राइवर के पद पर की गयी.
इनके कार्यकाल में हुई थी नियुक्ति
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी ने 274 एवं आलमगीर आलम ने अपने कार्यकाल में 324 नियुक्तियां की थीं. सूत्रों का कहना है कि कई प्रभावी नेताओं के नजदीकियों को इसका लाभ दिया गया था. एक खास इलाके के लोगों की बहाली हुई. रिपोर्ट के मुताबिक पलामू के 12 लोगों को डाक से नियुक्ति पत्र भेजा गया, जो उन्हें दूसरे दिन ही मिल गया. उसी दिन सभी लोगों ने योगदान भी दे दिया. राज्यपाल ने अनुसेवक के 75 पद स्वीकृत किये थे. अधिकारी अमरकांत झा ने 150 पदों पर नियुक्तियां कर दीं.
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