रांची में सार्वभौम शाकद्वीपीय ब्राह्मण महासभा का राज्यस्तरीय महासम्मेलन संपन्न

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Ranchi: शाकद्वीपीय ब्राह्मणों का उत्थान कैसे हो, इस विषय को लेकर रांची के डूमरदगा स्थित एमडीएलएम हॉस्पिटल के धनवंतरी सभागर में सार्वभौम शाकद्वीपीय ब्राह्मण महासभा का राज्यस्तरीय महासम्मेलन हुआ.इसी वर्ष अक्तूबर महीने में संपन्न हुए महासभा के आम चुनाव के बाद नवनिर्वाचित समिति के सदस्यों की उपस्थिति में पहली बार महासम्मेलन आयोजित किया गया, जहां झारखंड राज्य के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में शाकद्वीपीय ब्राह्मणों ने भाग लिया. इस दौरान उन्होंने अपने विचार भी व्यक्त किए.

इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित विजया नंद सरस्वती मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सार्वभौम शाकद्वीपीय ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष डॉ अमिताभ कुमार ने की. इस कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार एवं महासभा के उपाध्यक्ष कृष्ण बिहारी मिश्रा ने किया.

समाज की समस्या और उसके समाधान की हुई तलाश

इस महासम्मेलन में अतिथि के तौर पर न सिर्फ समाज के चिंतक व विचारक पुरूषों की उपस्थित रही, बल्कि महिलाओं, युवाओं एवं बच्चों ने भी भाग लिया। विशेष रूप से इस महासम्मेलन में वर्तमान समय में शाकद्वीपीय ब्राह्मण समाज के विभिन्न पहलुओं, समस्याओं एवं चुनौतियों तथा इनके समाधान पर विस्तार से विचार विमर्श हुआ। समाज के महत्वपूर्ण लोगों व चिंतकों ने अपने अपने सुझाव दिये तथा एक बेहतर और विकसित समाज बनाने का संकल्प लिया। इस महासम्मेलन में अवध मणि पाठक, आचार्य मिथिलेश, वसंत व्यास, वसंत कुमार पाठक, शैलेंद्र मिश्र, विभाकर मिश्र, बंशीधर मिश्र, रवीन्द्र कुमार मिश्र, डॉ. आशुतोष पांडये, श्रवण कुमार पाठक, शशिकांत मिश्र, विनायक शर्मा, मनोज कुमार पुट्टू, पंकज कुमार पाठक, डॉ. अर्चना पाठक विशेष रूप से मौजूद रहे.

समाज के सतत विकास को लेकर हुआ विमर्श

महासम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री विजया नंद सरस्वती ने रामधारी सिंह दिनकर एवं मैथिलिशरण गुप्त की कविताओं का उदाहरण देते हुए बताया कि हमारे समाज को क्यों सतत् विकास करते रहना चाहिए। हम सबका यही एकमात्र प्रयास होना चाहिए कि हमारा समाज, संगठन निरंतर आगे बढ़ते रहे। साथ ही उन्होंने संस्कार और चरित्र के महत्व पर कई महत्वपूर्ण बातें बताई। वहीं डॉ अमिताभ कुमार ने संगठन के विस्तार की योजना बताई। भविष्य में और क्या बेहतर किया जायेगा इस पर प्रकाश डाला। उन्होंने ऐसे सामाजिक कार्यक्रम या महासम्मेलनों में सपरिवार उपस्थित रहने का आग्रह किया। इससे पारिवरिक स्तर पर हमारे समाज में हो रही चर्चाओं को बढ़ावा मिल सकेगा।

संगठन में महिलाओं की भूमिका मजबूत करने की जरूरत 

डॉ अर्चना पाठक ने संगठन में महिलाओं की भूमिका को और मजबूत करने की बात कही। उन्होंने संगठन के द्वारा सामाजिक कार्यों को अधिक से अधिक करने का आग्रह किया। अवधमणि पाठक ने समाज के गरीब या आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों के कौशल विकास करने की योजना के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने यह बताया कि यह योजना कैसे बेरोजगारी की समस्या को समाप्त कर सकती है। विशंवर शास्त्री ने समाज के बच्चों को बेहतर शिक्षा की व्यस्था पर जोर देते हुए कहा कि हमें अपने बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि वहीं हमारे समाज के भविष्य है। अगर वह शिक्षित होंगे, न सिर्फ उनका जीवन बेहतर होगा, बल्कि एक बेहतर समाज का भी निर्माण होगा।

शिक्षा के साथ बेहतर स्वास्थ्य भी जरूरी 

अपने विचार रखते हुए शैलेंद्र मिश्र ने शिक्षा के साथ साथ, स्वास्थ का भी ध्यान रखने की बात कही। वहीं शिवचंद्र मिश्र ने समाज के लोगों को संस्कार विकसित करने की तथा साथ ही संगठन की मजबूती पर जोर दिया। अशोक पाठक ने संगठन के विस्तार की योजना बताई साथ ही कहा कि हमें साथ मिलकर समाज के गरीब और पीछे छूट गए लोगों को आगे बढ़ाना है। बंशीधर मिश्र ने जिलास्तरीय कार्यक्रम के माध्यम से संगठन के विस्तार पर अपनी बात रखी। किशोर कुमार पांडेय ने लोहरदगा स्थित मंदिर के निर्माण को पूरा करने में सहयोग करने की अपील की। विनायक शर्मा ने समाज के लोगों से कर्मकांड को बढावा देने की अपील की और ग्रामीण क्षेत्रों में संगठन की उपस्थिति की बात कही। बसंत पाठक ने संगठन को स्वस्थ रखने की वकालत की और सामाजहित के लिए धनोपार्जन कर समाज के जरूरतमंद लोगों के बीच तक पहुंचाने की बात कही.

ज्योतिष और कर्मकांड की पद्धति को करें समृद्ध

विभाकर मिश्र ने ब्राह्मणों के द्वारा की जा रही ज्योतिष और कर्मकांड की पद्धति को और समृद्ध करने की बात कही। मनोज कुमार पुट्टू ने समाज के लोगों को चरित्र और संस्कार को और बेहतर करने का आह्वान किया और कहा कि हमारा समाज ऐसा काम करे, जिससे न सिर्फ हमारे समाज का नाम हो, बल्कि देश का भी नाम हो। आचार्य मिथिलेश ने स्वाजातियों के विकास एवं उनके कष्टों के निराकरण की व्यवस्था को बेहतर और आसान करने पर जोर दिया। बसंत व्यास ने कहा कि समाज के जिन लोगों को भी कर्मकांड या ज्योतिष में रूचि है, उन्हें वह प्रशिक्षण देंगे ताकि हमारे समाज की यह प्राचीन परंपरा और वृहद और समृद्ध हो सके.

कंचन मिश्र ने समाज में लड़कियों की शादी में आनेवाली समस्याओं के निराकरण की व्यवस्था किये जाने की बात कही और आग्रह किया कि समाज के प्रबुद्ध लोग यह संकल्प लें कि शाकद्वीपीय समाज को दहेजमुक्त समाज बनायेंगे। कार्यक्रम का समापन महासभा के अध्यक्ष डॉ अमिताभ कुमार द्वारा महासम्मेलन में आए सभी लोगों को एक स्मारिका तथा नववर्ष का कैलेंडर देकर किया गया।

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