सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज जस्टिस फातिमा बीवी का 96 साल की आयु में निधन

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New Delhi: सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज और तमिलनाडु की पूर्व गवर्नर जस्टिस फातिमा बीवी का कोल्लम के एक प्राइवेट अस्पताल में गुरुवार को निधन हो गया. वे 96 साल की थीं. केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान और राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने उनके निधन पर शोक जाहिर किया है.

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने कहा, “वे एक बहादुर महिला थीं जिनके नाम कई रिकॉर्ड्स रहे हैं. वो ऐसे व्यक्तित्व की महिला थीं जिन्होंने अपने जीवन में ये दिखलाया कि इच्छाशक्ति और सकारात्मकता से कोई भी व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थिति को पार पा सकता है.”

महिलाओं के लिए रहीं आदर्श 

(दिवंगत) न्यायाधीश फातिमा बीवी ने अपने लंबे और शानदार करियर के दौरान देशभर में महिलाओं के लिए एक आदर्श और नजीर के रूप में काम किया है. फातिमा बीवी का नाम ज्यूडिशरी ही नहीं बल्कि देश के इतिहास में भी स्वर्ण अक्षरों में अंकित हैं. फातिमा बीवी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवा देने के बाद तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में नियुक्त होकर राजनीतिक क्षेत्र पर भी अपनी छाप छोड़ी. वह किसी भी उच्च न्यायपालिका में नियुक्त होने वाली पहली मुस्लिम महिला न्यायाधीश भी थीं. साथ ही एशिया में एक राष्ट्र के सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश का खिताब भी उन्हीं के नाम है. फातिमा बीवी साल 1989 में सुप्रीम कोर्ट की महिला न्यायाधीश बनी थीं, जो पहली भारतीय महिला थीं.

केरल की रहने वालीं

बता दें, केरल के पंडालम की रहने बीवी फातिमा ने पथानामथिट्टा के कैथोलिकेट हाईस्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी. बाद में तिरुवनंतपुरम के कॉलेज से बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की. उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री हासिल की और 14 नवंबर, 1950 में एक वकील के रूप में दाखिला लिया. तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने से पहले फातिमा बीवी को तीन अक्तूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (भारत) की सदस्य बनाया गया था।  इसके अलावा, उन्होंने राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान तमिलनाडु विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में भी कार्य किया

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