मंगलवार को मीठा भंडारा क्यों करें? भूमि-विवाद और मंगल दोष का समाधान
सात प्रकार का अनाज — मकई, गेहूँ, ज्वार, बाजरा, काली सरसों, पीली सरसों और सफेद तिल — चींटियों को अर्पित करने से राहु-केतु, पितृ दोष और विद्रोहकारी ग्रहों की शांति होती है। यह छोटे-से कर्म से सुख-समृद्धि के द्वार खोलता है और प्रारब्धीय कठिनाइयाँ तेजी से कटती हैं।
अनाज तैयार करने की विधि
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माप: कुल मिश्रण 1 से 5 किलो, आवश्यकता व सामर्थ्य अनुसार।
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मकई व गेहूँ को हल्का दरदरा कुट लें, बाकी दाने ज्यों-के-त्यों मिलाएँ।
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विशेष दिन व मंत्र
दिन क्या डालें मंत्र स्मरण ग्रह/दोष प्रभाव शनिवार सादा मिश्रण “ॐ शनैश्चराय नमः” या “ॐ राहवे नमः” शनि, राहु, केतु शांति बुधवार सादा मिश्रण “ॐ राहवे नमः” राहु शांति, मानसिक संतुलन मंगलवार वही मिश्रण + देसी शक्कर/गुड़ “ॐ मंगलाय नमः” भूमि-संबंधी बाधा, मंगल दोष अमावस्या सादा मिश्रण पितृ-तर्पण की भावना पितृ दोष निवारण
स्थान: चींटी-बिल, पेड़ की जड़, सुनसान मिट्टी-क्षेत्र; पक्का/फर्श न चुनें।
लाभ कैसे मिलते हैं?
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धनात्मक कर्म: नि:स्वार्थ सेवा से चार गुना फल लौटता है।
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पूर्व जन्म के ऋण: पितरों की तृप्ति से अचानक मार्ग खुलते हैं।
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राहु-केतु की बाधा: नियमित शनिवार-बुधवार सेवा से अनिश्चय, कोर्ट-कचहरी या दुर्घटनाएँ घटती हैं।
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मंगलदोष व भूमि विवाद: मंगलवार के मीठे भंडारे से संपत्ति-सम्बंधी अड़चनें हल्की पड़ती हैं।
कुछ व्यावहारिक सुझाव
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लगातारता रखें: यथासंभव जीवन-भर जारी रखें; मात्रा छोटी-बड़ी हो सकती है।
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निष्काम भाव: फल की लालसा न रखें; सेवा स्वयं फलित होगी।
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प्रकृति-मैत्री: वृक्षारोपण करें, चमड़े-नॉनवेज से दूरी बनाएँ—सभी जीवों में दया जगाएँ।
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संकल्प शक्ति: “ज्योत से ज्योत जलाते चलो”—छोटा-सा दाना भी अनगिनत कल्याण के द्वार है।
समापन
ध्यान, सेवा और सकारात्मक कर्म—इनसे बड़ा कोई तांत्रिक उपाय नहीं। आज से ही चींटियों को सात अनाज अर्पित करें और जगदंबा की अनुकंपा अनुभव करें।