तमिलनाडु के आगम मंदिरों में सरकारी दखल पर रोक, पुजारियों की नियुक्ति परंपरागत नियमों से ही होगी : सुप्रीम कोर्ट

 

नई दिल्ली, 22 मई 2025
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के आगम मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति और मंदिर प्रबंधन पर राज्य सरकार के हस्तक्षेप पर फिर से रोक लगाते हुए हाई कोर्ट के दिए निर्देशों को बरकरार रखा है। अदालत ने हिंदू रिलीजन एंड चैरिटेबल एंडोमेंट ( HR&CE ) एक्ट के तहत नियुक्त अधिकारियों को साफ कहा कि आगम मंदिरों की परंपरागत विधि और शास्त्रों के अनुसार ही पुजारियों की बहाली और प्रबंधन किया जाए। हाई कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन माह की अवधि को बढ़ाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंदिरों की पहचान, पुजारियों की संवैधानिक योग्यता और अनुशासनात्मक प्रक्रिया पूरी करने के लिए राज्य सरकार को समय दिया है। अगली सुनवाई की तारीख 18 सितंबर लगाई गई है।

क्या है मामला?

  • तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक जैसे दक्षिणी राज्यों में मंदिरों का प्रबंधन HR&CE एक्ट के अंतर्गत राज्य सरकार के अधीन एंडोमेंट अधिकारियों द्वारा किया जाता है।

  • आरोप है कि सरकारी दफ्तरों ने मंदिरों की 47,000 एकड़ भूमि और चढ़ावे की राशि का अनियमित उपयोग कर विकास कार्यों, अस्पतालों एवं ग़ैर-हिंदू धार्मिक संस्थाओं पर खर्च किया।

  • अगस्त 2023 में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को आगम मंदिरों की सूची तीन महीने में तैयार करने और उनमें पुजारियों की नियुक्ति परंपरागत शास्त्रीय मानदंडों से करने का निर्देश दिया।

  • राज्य ने हाई कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति में अधिवक्ता सत्यवेल मुरुगन की समाविष्टि को ‘पक्षपातपूर्ण’ बताकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन अदालत ने राज्य की आपत्ति खारिज कर दी।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य बिंदु

  1. आगम मंदिरों की पहचान: शैव, वैष्णव और शाक्त परंपरा के मंदिरों की सूची पहले तैयार की जाएगी।

  2. पुजारियों की नियुक्ति: आगम और निगम शास्त्र के परंपरागत नियमों के अनुसार हो; राज्य अधिकारियों का हस्तक्षेप अस्वीकार्य।

  3. प्रबंधन पर निगरानी: सरकारी कर्मचारियों की भूमिका केवल रक्षा और लेखा पारदर्शिता तक; मंदिरों की धार्मिक प्रक्रियाओं में कोई शासनादेश नहीं।

  4. समय-सीमा विस्तार: हाई कोर्ट की तीन माह की डेडलाइन को उचित अवधि तक बढ़ाया; 18 सितंबर को स्थिति रिपोर्ट।

क्यों महत्वपूर्ण है फैसला?

यह आदेश राज्य सरकार द्वारा मंदिरों के संवादात्मक और आर्थिक स्वायत्तता पर लगातार किए जा रहे दखल को सीमित करता है। सुप्रीम कोर्ट ने परंपरागत आगम मंदिरों के धार्मिक अधिकारों को संवैधानिक संरक्षण दिया है ताकि उनकी शास्त्रीय पहचान और आस्था सुरक्षित रह सके और मंदिरों के धन-संसाधनों का उचित उपयोग हो।

अगली सुनवाई: 18 सितंबर 2025
मुद्दा जारी: पुजारियों की योग्यता, भूमि घोटाले की जांच और मंदिर निधि के उपयोग पर अदालत की नज़र बनी रहेगी।

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