ट्रंप के नेतृत्व में इजराइल–ईरान “Nuclear Deal” प्रयासों में Netanyahu से टकराव
हाल में यूरोप टूर से लौटे President Trump ने फिर से Iran के साथ nuclear deal की negotiation शुरू की है। ट्रंप चाहते हैं कि उन्हें “Messenger of God” और “शांतिदूत” के रूप में देखा जाए, ताकि दुनिया भर के conflict क्षेत्रों में मध्यस्थता कर सकें।
ट्रंप ने सबसे पहले Russia–Ukraine संकट में mediation करने की कोशिश की थी, लेकिन वह प्रयास सफल नहीं हो पाया। अब उनका ध्यान मध्य पूर्व पर है। आते ही उन्होंने Gaza में ceasefire कराए जाने का दावा किया, जबकि असल क्रेडिट उन्होंने Biden के गले से झटक लिया।
इसी बीच इजराइल के Prime Minister Netanyahu ने ईरान पर सशस्त्र कार्रवाई की तैयारी कर रखी थी। अप्रैल 2025 तक इजराइल की खुफिया रिपोर्टों में यह खुलासा हुआ कि Netanyahu ने ईरान के nuclear facilities को निशाना बनाने का प्लान बना लिया था। 21 मई 2025 को ट्रंप और Netanyahu के बीच telephone call में ट्रंप ने साफ कर दिया कि वह ईरान के साथ compromise की राह पर हैं, जबकि Netanyahu आक्रामक कदम चाहते थे।
वर्तमान हालात यह हैं कि ईरान ने अमेरिका के साथ sanctions हटाने और सिविल परमाणु कार्यक्रम की इजाज़त देने पर बातचीत के लिए हामी भरी है। इजराइल की चिंता इस बात को लेकर है कि परमाणु हथियार विकसित होने पर ईरान क्षेत्रीय संतुलन बिगाड़ देगा। Netanyahu की इस घुटन को दूर करने में ट्रंप ने रुचि दिखाई है, लेकिन इजराइल के साथ उनकी relation में दरार भी बढ़ रही है।
विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की नीतियाँ व्यापारिक हितों पर आधारित हैं—सऊदी, यूएई और क़तर से आर्थिक deals कर शांति बनाए रखना चाहते हैं, और अब ईरान के साथ भी negotiations में रियायतों की पेशकश करेंगे। Netanyahu इस पूरे परिदृश्य में बाग़ी की भूमिका में दिख रहे हैं, जो “strike first” की रणनीति पर अड़े हैं।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रंप-नेतanyahu के बीच ये clash बढ़ता है या कोई breakthrough होता है। फिलहाल, मध्य पूर्व में “peace process” और “nuclear diplomacy” दोनों ही headlines में हैं।
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