वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, अंतरिम राहत पर फैसला 20 मई को

 

नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ द्वारा की गई। इससे पहले इस मामले की सुनवाई पूर्व सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना कर रहे थे, जिन्होंने 13 मई को अपना पद छोड़ दिया।

अंतरिम राहत पर 20 मई को होगा विचार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 20 मई को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतरिम राहत के मुद्दे पर विचार करेगा। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कानून की वैधता को चुनौती देने वालों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सोमवार तक अपने लिखित नोट दाखिल करने को कहा है।

पीठ ने सुनवाई स्थगित करते हुए कहा, “हम अंतरिम राहत के मुद्दे पर मंगलवार को विचार करेंगे।” वहीं, दोनों पक्षों के वकीलों ने अदालत को सूचित किया कि उन्हें याचिकाओं पर विचार करने के लिए कुछ और समय की आवश्यकता हो सकती है।

केंद्र का आश्वासन: वक्फ संपत्ति नहीं होगी गैर-अधिसूचित

इस दौरान विधि अधिकारी ने अदालत को आश्वासन दिया कि केंद्र की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि वक्फ द्वारा उपयोगकर्ता की ओर से स्थापित संपत्तियों सहित किसी भी वक्फ संपत्ति को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि नए कानून के तहत केंद्रीय वक्फ परिषद या राज्य वक्फ बोर्डों में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।

20 मई को नहीं होगी 1995 के वक्फ कानून पर रोक की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 20 मई को होने वाली सुनवाई के दौरान 1995 के वक्फ कानून के प्रावधानों पर रोक लगाने वाली किसी भी याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा।

केंद्र का हलफनामा: वक्फ अधिनियम 2025 का बचाव

इससे पहले, 25 अप्रैल को अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्रालय ने संशोधित वक्फ अधिनियम 2025 का बचाव करते हुए एक प्रारंभिक 1,332 पृष्ठों का हलफनामा दायर किया था। केंद्र ने इस अधिनियम को संसद द्वारा पारित “संवैधानिकता के अनुमान वाले कानून” के तहत सही ठहराया और सुप्रीम कोर्ट से इस पर किसी भी प्रकार की पूर्ण रोक का विरोध किया।

केंद्र ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज किया जाए। सरकार ने कुछ प्रावधानों के खिलाफ फैलाए जा रहे “शरारतपूर्ण झूठी कहानियों” की भी आलोचना की।

गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का विरोध

केंद्र ने केंद्रीय वक्फ परिषदों और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने की अनुमति देने वाले प्रावधान पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के प्रस्ताव का भी विरोध किया है। इसके अलावा, वक्फ संपत्तियों की अधिसूचना रद्द करने के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित करने के अदालत के प्रस्ताव का भी विरोध किया है।

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज किया जाए। यह अधिनियम 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद अधिसूचित किया गया था।

अगली सुनवाई की प्रतीक्षा

अब सभी की नज़रें 20 मई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जब सुप्रीम कोर्ट अंतरिम राहत पर अपना विचार व्यक्त करेगा। इससे वक्फ अधिनियम 2025 के भविष्य और संवैधानिक वैधता पर महत्वपूर्ण फैसला आने की संभावना है।

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