ऑपरेशन कामरा की योजना: 10 मिनट पहले रुका भारतीय वायुसेना का गुप्त मिशन
नई दिल्ली। शीर्ष रक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय वायुसेना (IAF) ने हाल में पाकिस्तान के कामरा एयरकॉम्प्लेक्स — जहां जेएफ-17 लड़ाकू विमान बनाए और रखे जाते हैं — पर एक अत्यधिक सटीक हवाई हमले की पूरी तैयारी कर ली थी। लेकिन मिशन शुरू होने से लगभग 10 मिनट पहले इसे रोक दिया गया।
मिशन का उद्देश्य
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कामरा कॉम्प्लेक्स पाकिस्तान की वायुशक्ति का प्रमुख केन्द्र माना जाता है। यहां चीन-पाक संयुक्त परियोजना से बने जेएफ-17 थंडर विमानों का उत्पादन, रखरखाव और संभावित रूप से परमाणु-सक्षम जेटों का स्टोरेज होता है।
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रक्षा अधिकारियों के अनुसार, ऑपरेशन का लक्ष्य इस आधारभूत संरचना को “निर्णायक रूप से निष्क्रिय” करना था, ताकि पाकिस्तान की हवाई क्षमताओं पर लंबे समय तक प्रभाव पड़े।
कैसे बनी योजना
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खुफिया आकलनों के बाद राफेल, मिराज-2000 और ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइलों की सुसक्षम टुकड़ी को राजस्थान की ओर से प्रवेश मार्ग अपनाने का निर्देश मिला, ताकि पाक राडार-निगरानी को भटका कर लक्ष्य को अचूक रूप से साधा जा सके।
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सूत्रों ने बताया कि मिशन 1971 के बाद पहली बार इतना गहरा पार सीमा प्रवेश होता और पिछले कराची-किराना हिल्स स्ट्राइक से भी बड़ा होता।
आख़िरी क्षणों में क्यों रुका ऑपरेशन?
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मिशन के उड़ान क्रम में पहुँचते ही वाशिंगटन और पेरिस से शीर्ष-स्तरीय फोन आए। अमेरिकी विदेश मंत्री और अन्य पश्चिमी साझेदारों ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार तथा वरिष्ठ भारतीय कूटनीतिज्ञों से “तत्काल संयम” बरतने का अनुरोध किया।
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अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आशंका थी कि हमले में मौजूद चीनी तकनीकी कर्मियों के हताहत होने से क्षेत्रीय संकट सीधे चीन तक फैल सकता है।
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राजनयिक दबाव और त्वरित विनती के बाद, राजनीतिक नेतृत्व ने अभियान स्थगित करने का आदेश दिया।
‘नई रणनीतिक वास्तविकता’ का संकेत
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अधिकारियों का तर्क है कि मिशन रद्द करना “कमज़ोरी नहीं, ताक़त का प्रदर्शन” था — यह दिखाता है कि भारत किसी भी समय पाकिस्तान की महत्वपूर्ण सैन्य परिसंपत्तियों को निशाना बनाने में सक्षम है।
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रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि ऑपरेशन का खुलासा होने से भारतीय वायुशक्ति की प्रोजेक्टेड डिटरेंस क्षमता बढ़ी है और भविष्य में किसी भी सीमा-पार उकसावे पर प्रतिक्रिया की स्पष्ट चेतावनी भी दे दी गई है।
आगे का परिदृश्य
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रक्षा मंत्रालय ने औपचारिक टिप्पणी से इनकार किया, पर अंदरूनी हलकों में कहा जा रहा है कि “आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई दोबारा टाली नहीं जाएगी।”
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विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की आर्थिक चुनौतियाँ और कूटनीतिक दबाव ऐसे किसी मिशन के दोबारा मुहाने पर आने की स्थिति में इस्लामाबाद के विकल्प सीमित कर सकते हैं।
सार: “ऑपरेशन कामरा” भले ही अंतिम क्षणों में थमा, लेकिन इससे यह स्पष्ट हो गया कि भारत के पास पाकिस्तान की प्रमुख सैन्य क्षमताओं को कुछ ही मिनटों में निष्क्रिय करने की तैयारी और साधन दोनों मौजूद हैं।